कई सालों से भारत की जेन जी जनरेशन को लेकर लोगों के दिमाग में एक छवि बनी हुई है. जिसमें लोग समझते थे कि जेन जी जनरेशन का मतलब नाइट लाइफ, क्लबिंग, शराब, तेज म्यूजिक और सोशल मीडिया की चमक-दमक वाली पीढ़ी है. लेकिन अब देश के बड़े शहरों में यह तस्वीर तेजी से बदल रही है. मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद जैसे शहरों में युवा अब शराब से भरे क्लब नहीं, बल्कि भजन और कीर्तन की रातों में उमड़ रहे हैं. वहीं इस नए ट्रेंड को भजन क्लबिंग नाम दिया गया है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि वोदका शॉट्स छोड़कर भजन पर कैसे झूम रहे जेन जी और भजन क्लबिंग क्या है जो देश भर में एक नया ट्रेंड बन रहा है. क्या है भजन क्लबिंग?
भजन क्लबिंग दरअसल भक्ति, म्यूजिक और आधुनिक क्लब कल्चर का मिला-जुला रूप है. इसमें न तो शराब पी जाती है और न ही तेज ईडीएम बिट्स पर नशे में झूमने का माहौल होता है. इसकी जगह डिम लाइट्स, प्रोफेशनल साउंड सिस्टम, ढोलक-कीर्तन और हरे कृष्ण, राम-राम जैसे भजनों की गूंज होती है. फर्क बस इतना है कि यह सब मंदिर में नहीं बल्कि कैफे, ऑडिटोरियम और इवेंट हॉल में होता है. वहीं ऐसे इवेंट्स में कई जगहों पर चाय, कॉफी और सादा खाना ही परोसा जाता है. यह ट्रेंड अब सिर्फ मेट्रो सिटी तक सीमित नहीं रहा, बड़े शहरों के बाद कई टियर 2 शहरों में भी भजन क्लबिंग के कार्यक्रम शुरू हो चुके हैं. आयोजकों का कहना है कि भजन और कीर्तन नाइट्स के टिकट कई बार मिड लेवल म्यूजिक शोज से भी जल्दी बिक जाते हैं. कई इवेंट्स में 1000 से ज्यादा युवाओं की भीड़ भी देखने को मिल रही है.

भजन क्लबिंग को सोशल मीडिया ने दी रफ्तार

भजन क्लबिंग को सोशल मीडिया से जबरदस्त रफ्तार मिली है. दरअसल इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर ऐसे इवेंट्स के वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं. वहीं सैकड़ों युवाओं को एक साथ भजन गाते और झूमते देखकर दूसरे लोग भी इन कार्यक्रमों से जुड़ना चाहते हैं. कई युवाओं का कहना है कि उन्होंने पहली बार भजन क्लबिंग के बारे में रील्स के जरिए ही सुना. इसके अलावा युवा बताते हैं कि भजन क्लब उन्हें अलग तरह की खुशी देते हैं यहां न तो हैंगओवर होता है और न ही अगले दिन का स्ट्रेस. देर रात तक म्यूजिक और भजन के बावजूद लोग खुद को हल्का और रिलैक्स में महसूस करते हैं.

आयोजकों के लिए भी फायदेमंद साबित हो रहा भजन क्लबिंग

दिलचस्प बात यहां की शराब न होने के बावजूद इन आयोजनों में अच्छी कमाई हो रही है. क्लब और वेन्यू मालिकों का कहना है की टिकट और एंट्री फीस से उनकी भरपाई हो जाती है. कई जगह पर भजन नाइट्स के दौरान भीड़ नॉर्मल क्लब नाइट से ज्यादा रहती है. इसके अलावा भजन क्लबिंग को भक्ति का नया अंदाज माना जा रहा है. पहले भजन मंदिरों और घरों तक सीमित थे, लेकिन अब युवा इन्हें अपने तरीके से अपना रहे हैं.