Cow Chewing Process: भारत में गायों का दिखना एक आम बात है. आपने भी कभी न कभी किसी गाय को सड़क या डेयरी में जरूर देखा होगा. मगर क्या आपने कभी गाय की एक विशिष्ट आदत पर गौर किया है कि वे ज्यादातर समय अपना मुंह चलाती रहती हैं? बिना कुछ आहार खाएं भी गाय अपने मुंह में कुछ चबाती रहती है. सिर्फ गाय नहीं बल्कि बाकी घास खाने वाले बाकी पशुओं में भी ऐसा व्यवहार देखा जाता है. आइये जानते हैं कि आखिर गाय ऐसा क्यों करती है. 

इंसानों में कैसे पचता है खाना?

गाय से पहले इंसानों के खाना पचाने के तरीके को समझ लेते हैं. इंसानों में खाना पचाने का सीधा रास्ता होता है. मुंह से होते हुए खाना हमारे पेट में पहुंचता है. यहां केमिकल रिएक्शन से खाने को और छोटे टुकड़ों में पीसा जाता है. पेट से निकलने वाले भोजन छोटी आंत में जाता है. छोटी आंत भोजन के संपूर्ण पाचन यानी कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा, का स्थान होती है. पाचन के बाद भोजन छोटी आंत से होते हुए हमारे रक्त के द्वारा शरीर के सभी अंगों तक पहुंचता है.

मगर घास को शरीर में तोड़ना और पचाना सरल नहीं होता है. इसलिए, प्रकृति ने गाय जैसे जानवरों के शरीर की संरचना अलग तरह से की है. उनका पेट और पाचन तंत्र इस तरह से होता है ताकि वे मुश्किल से पचने वाले आहार से भी सभी पोषक तत्वों को प्राप्त कर सकें.

गाय के पेट में होते हैं 4 कम्पार्टमेंट

गाय अकसर घास और अन्य कच्चा चारा खाती हैं. इसे पचाना मुश्किल होता है. इस वजह से गाय का पेट 4 भागों में बांटा होता है - रुमेन, रेटिकुलम, ओमासम और एबोमासम. सबसे पहले गाय अपने भोजन को बिना चबाएं ही सटक लेती है. खाने को रुमेन कम्पार्टमेंट में इकट्ठा किया जाता है. रुमेन सबसे बड़ा कम्पार्टमेंट होता है. इस भाग में आहार को और छोटा कर के रेटिकुलम में भेज दिया जाता है. यहां से भोजन दोबारा गाय के मुंह में पहुंचता है. गाय इस बार अपने आहार को आराम से चबाती है. इसी वजह से गाय ज्यादातर अपना मुंह चलाती रहती है.

चबाया हुआ खाना मुंह से पेट के ओमेसम हिस्से में पहुंचता है. यहां, बचे हुए भोजन से पानी सोख लिया जाता है. इसके बाद भोजन को पेट के चौथे और अंतिम भाग एबोमासम में भेजा जाता है. यह वह जगह है जहां पेट के एसिड और एंजाइम छोटी आंत में जाने से पहले बचे हुए भोजन को तोड़ने का काम करते हैं. इस पचे हुए भोजन में से कुछ रक्तप्रवाह में प्रवेश करता है. कुछ भोजन थन नामक थैली में जाकर दूध बनता है जो गाय के थनों से निकलेगा. बाकी का हिस्सा गाय के पोषण में चला जाता है.