महाभारत काल में जब धृतराष्ट्र ने पांडवों और कौरवों के बीच अपने राज्य का बंटवारा किया तो हस्तिनापुर कौरवों के हिस्से में आया. वहीं खांडवप्रस्थ पांडवों को दिया गया. खांडवप्रस्थ घना जंगल था, जहां सूर्य की रोशनी तक नहीं पहुंचती थी. पांडवों ने भगवान कृष्ण और विश्वकर्मा की मदद से इसे ही अपनी राजधानी बनाया और इंद्रप्रस्थ को बसाया. कहा जाता है कि महाभारत काल का इंद्रप्रस्थ ही आज की दिल्ली है, लेकिन इसके सबूत क्या हैं?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) अब पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ को ही ढूंढ रहा है. इसके लिए जल्द ही दिल्ली के पुराने किले की खुदाई भी शुरू होने जा रही है. एएसआई ने इसके लिए अपनी मंजूरी भी दे दी है. ऐसे में आइए जानते हैं कि दिल्ली के पुराने किले में एएसआई पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ को क्यों ढूंढ रहा है, कैसे पता चलेगा कि मुगल काल में बना पुराना किला इंद्रप्रस्थ के ऊपर ही बनाया गया था?
पुराने किले में ही हुई थी हुमांयू की मौत
दिल्ली के पुराने किले का इतिहास हुमांयू से जुड़ा हुआ है. यह वही किला है जिसकी सीढ़ियों से गिरकर हुमांयू की मौत हो गई थी. इस हादसे के बाद मुगलों ने इस किले को खाली कर दिया था. कहा जाता है कि जिस जगह पर पुराना किला बनाया गया था, वहां पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ हुआ करती थी. अब एएसआई इसकी खुदाई करने जा रहा है. बता दें, पुराने किले का निर्माण 1533 में मुगल बादशाह हुमांयू ने शुरू करवाया था. 1540 में शेरशाह सूरी ने इस किले के निर्माण को आगे बढ़ाया, इसके बाद 1555 में फिर हुमांयू ने इसका निर्माण पूरा कराया था.
आजादी के बाद छठी बार होने जा रही खुदाई
देश की आजादी के बाद इंद्रप्रस्थ की खोज में दिल्ली के पुराने किले की खुदाई छह बार हो चुकी है. पहली बार एएसआई द्वारा 1954-55 में इसकी खुदाई शुरू की गई थी. इसके बाद 1969-73, 2013-14, 2017-18 में भी इस किले की खुदाई की गई थी. आखिरी बार 2023 में इस किले की खुदाई हुई थी. खास बात यह है कि इस बार किले के अंदर अलग-अलग क्षेत्रों में खुदाई की जाएगी और जरूरत पड़ने पर पहले से खुदाई किए गए क्षेत्रों को भी दोबारा खोला जाएगा. बता दें, पिछली बार 6 मीटर तक खुदाई की गई थी, लेकिन इस बार और भी ज्यादा गहराई तक खुदाई की जाएगी.
मिल चुके हैं ये सबूत
दिल्ली के पुराने किले में पूर्व में हो चुकी खुदाई में मौर्य काल, शुंग, कुषाण, गुप्त, राजपूत काल, सल्तनत और मुगल काल के अवशेष मिल चुके हैं. हालांकि, एएसआई को पांडवों को इंद्रप्रस्थ की तलाश है, जिसके अभी तक ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं.
कैसे चलेगा इंद्रप्रस्थ का पता
बता दें, पुराने किले में हुई पहले की खुदाई में कुंती मंदिर स्थल पर भगवान विष्णु की 900 साल पुरानी राजपूत काल की प्रतिमा मिल चुकी है. यहां 1200 साल पुरानी गजलक्ष्मी की मूर्ति और गणेश की मूर्ति भी मिली थी, जिससे इतिहासकारों को उम्मीद है कि इंद्रप्रस्थ के सबूत भी यहां मिल सकते हैं. इतिहासकारों का कहना है कि पुराना किला उस टीले पर स्थित हो सकता है, जिसके कभी पांडवों ने अपनी राजधानी बनाया था. खुदाई में इसी टीले के साक्ष्म तलाशे जाएंगे.
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