दिल्ली में बीजेपी सरकार बनने के बाद एक बार फिर से आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है. दरअसल बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा के सीएम ऑफिस से बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर और भगत सिंह की फोटो का स्थान बदल दिया है. जिसके बाद सीएम की कुर्सी के पीछे भीमराव आंबेडकर और भगत सिंह की फोटो नहीं दिख रही है. इसको लेकर आप नेता आतिशी ने सरकार को दलित विरोधी बताया है. क्या आप जानते हैं कि केंद्र सरकार के दफ्तरों में तस्वीरों को लगाने को लेकर क्या नियम हैं.
क्या है मामला?
नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि बीजेपी की दलित विरोधी मानसिकता जगजाहिर है. उन्होंने कहा कि आज बीजेपी ने इसका प्रमाण देश के सामने रख दिया है. बता दें कि आप ने एक फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है. इस फोटो में दिख रहा है कि भीमराव आंबेडकर और भगत सिंह की फोटो नहीं है. जिसके बाद आप ने एक्स पर पोस्ट करके बीजेपी को दलित विरोधी कहा है. लेकिन बीजेपी ने एक दूसरी फोटो भी शेयर की है, जिसमें दिख रहा है कि सीएम की कुर्सी के दाएं तरफ दीवार पर भीमराव आंबेडकर और भगत सिंह की फोटो लगी है.
केंद्र सरकार के ऑफिस में फोटो को लेकर नियम
अब सवाल ये है कि केंद्र सरकार के ऑफिस में फोटो को लेकर क्या नियम है. बता दें कि आपने देखा होगा कि आमतौर पर देश की सभी सरकारी दफ्तरों के अंदर महापुरुषों में महात्मा गांधी और बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीरें लगी होती हैं. इसके अलावा मौजूदा प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति की तस्वीरें लगाई जाती है. दरअसल ये यह परंपरा काफी लंबे समय से चली आ रही है. अब सवाल ये है कि केंद्र सरकार के ऑफिस में किसकी तस्वीर लगेगी, इसको लेकर क्या नियम है. बता दें कि केंद्र सरकार के सरकारी ऑफिस में किसकी तस्वीर लगेगी और किसकी नहीं, इसे लेकर संविधान में कोई नियम या प्रावधान नहीं है. बता दें कि राज्य की सरकार अपनी सुविधा के अनुसार यह तय करती है कि किसी फोटो लगेगी और किसकी फोटो नहीं लगेगी. लेकिन केंद्र सरकार के दफ्तरों में इसको लेकर नियम है.
केंद्र सरकार के ऑफिस में किसकी लगेगी तस्वीर?
बता दें कि केंद्र सरकार के दफ्तरों में महात्मा गांधी के साथ वर्तमान राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तस्वीरें लगाने का निर्देश है. जी हां, इसके लिए पीआईबी की तरफ से जरूरी जानकारी और तस्वीरें उपलब्ध कराई जाती है. जिसको सभी दफ्तरों को फॉलो करना जरूरी होता है.
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