पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर पिछले हफ्ते के अंत में शुरू हुए झड़प के बाद आज (बुधवार) एक बार फिर तनाव भड़क गया. यह ताजा हिंसा खैबर पख्तूनख्वा के दुर्गम इलाके में सामने आई है. अफगान तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने कंधार प्रांत के स्पिन बोल्डक जिले में हल्के और भारी हथियारों से हमला किया है. तालिबान की मानें तो इस हमले में कई लोगों के मारे जानें और घायल होने की खबर आई है. इसी क्रम में चलिए जान लेते हैं कि अफगानिस्तान का सबसे अमीर हिंदू कौन था और वे कितने करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी छोड़कर भागे थे.
कौन था अफगानिस्तान का सबसे अमीर हिंदू?
अफगानिस्तान का नाम आते ही दिमाग में जंग, उथल-पुथल और तालिबान की हुकूमत की तस्वीर उभरती है, लेकिन कभी यही देश दक्षिण एशिया के सबसे समृद्ध व्यापारिक केंद्रों में से एक हुआ करता था. इस समृद्धि में अफगान हिंदू समुदाय की भूमिका बेहद अहम थी. इन्हीं में से एक नाम था निरंजन दास, जिन्हें कभी अफगानिस्तान का सबसे अमीर हिंदू कहा जाता था. उनका जीवन न सिर्फ सफलता की मिसाल है, बल्कि यह कहानी इस बात की भी गवाही देती है कि कैसे बदलते हालातों ने एक समृद्ध समुदाय को अपने ही देश से पलायन के लिए मजबूर कर दिया.
बड़े व्यापारी और जमींदार भी थे
निरंजन दास अफगानिस्तान के अमानुल्लाह खान के शासनकाल (1919–1929) में एक प्रभावशाली अधिकारी थे. वे उस दौर में टैक्स डिपार्टमेंट के प्रमुख पद पर कार्यरत थे. कहा जाता है कि अमानुल्लाह खान के प्रशासन में उनका काफी प्रभाव था और वे अफगान दरबार में हिंदू समुदाय के सबसे शक्तिशाली प्रतिनिधियों में गिने जाते थे. निरंजन दास सिर्फ एक अधिकारी नहीं थे, बल्कि वे एक बड़े व्यापारी, जमींदार और समाजसेवी भी थे, जिनके कारोबार अफगानिस्तान से लेकर भारत और मध्य एशिया तक फैले हुए थे.
कितनी थी संपत्ति?
काबुल और कंधार में उनकी कई हवेलियां, जमीनें और व्यापारिक प्रतिष्ठान थे. वैसे तो उनकी संपत्ति के बारे में सही सही ज्ञात नहीं है, लेकिन सोर्स की मानें तो उनकी संपत्ति उस समय कई करोड़ रुपये के बराबर मानी जाती थी, जो आज के हिसाब से सैकड़ों करोड़ या अरबों में गिनी जा सकती है. उस दौर में अफगानिस्तान के हिंदू और सिख व्यापारी मुख्य रूप से वस्त्र, मसाले, कीमती पत्थर और मुद्रा विनिमय के कारोबार में सक्रिय थे और निरंजन दास उनमें सबसे बड़े कारोबारी माने जाते थे.
किसलिए भागना पड़ा?
बाद में अफगानिस्तान की राजनीति में उथल-पुथल ने सब कुछ बदल दिया. अमानुल्लाह खान के पतन के बाद देश में अस्थिरता बढ़ने लगी. शासन बदलते ही हिंदू समुदाय पर दबाव बढ़ा और कई लोगों को अपने कारोबार और संपत्तियां छोड़कर देश छोड़ना पड़ा. निरंजन दास भी उन्हीं में से एक थे. उन्होंने अपनी करोड़ों की संपत्ति, हवेलियां और जमीनें पीछे छोड़ दीं और भारत की ओर पलायन कर गए. माना जाता है कि उनके परिवार के कुछ सदस्य बाद में दिल्ली और अमृतसर में बस गए, जहां उन्होंने नया जीवन शुरू किया.
आज निरंजन दास का नाम इतिहास के पन्नों में धुंधला पड़ चुका है, लेकिन उनका योगदान यह बताता है कि कभी अफगानिस्तान में हिंदू सिर्फ एक अल्पसंख्यक समुदाय नहीं, बल्कि देश की आर्थिक रीढ़ का अहम हिस्सा थे.
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