Drunken Mughal King: इतिहास में एक ऐसा मुगल सम्राट भी हुआ है जो ना केवल वास्तुकला और प्रशासन में योगदान के लिए जाना जाता है बल्कि शराब और अफीम की गंभीर लत के लिए भी मशहूर है. शराबी राजा के रूप में पहचाने जाने वाला यह शख्स कोई और नहीं बल्कि जहांगीर है. जहांगीर की मादक पदार्थों पर निर्भरता ने उनके निजी जीवन और उनके शासन दोनों को काफी ज्यादा प्रभावित किया था. आइए जानते हैं इस मुगल इतिहास के बारे में पूरी जानकारी.

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कैसे हुई इस लत की शुरुआत 

जहांगीर की लत काफी छोटी उम्र से ही शुरू हो गई थी. 15 साल की उम्र में उन्हें खासी के इलाज के लिए गुलाब जल में शराब मिलाकर दी जाती थी. शराब का यह औषधीय इस्तेमाल धीरे-धीरे उनकी आदत में बदलता गया. बाद में अफगान विद्रोहियों के खिलाफ एक जंग के दौरान किसी ने उन्हें थकान दूर करने के लिए शराब पीने की सलाह दी. इसके बाद शराब पर उनकी निर्भरता और बढ़ती चली गई और सालों तक उनकी लत का सिलसिला चलता रहा.

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शराब और अफीम की लत

जहांगीर का शराब के प्रति कितना गहरा प्रेम था इस बात का जिक्र उनकी आत्मकथा तुजुक-ए-जहांगीरी में भी किया गया है. ऐसा कहा जाता है कि जहांगीर दिन में लगभग 20 प्याले शराब पीते थे. दिन में 14 और रात में 6. सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने अपने शौक को पूरा करने के लिए ईरान और मध्य एशिया से भी शराब मंगा‍‍‍‌‌ई. सिर्फ शराब ही नहीं बल्कि जहांगीर अफीम का भी सेवन करते थे.‍‍

स्वास्थ्य और शासन पर प्रभाव 

जहांगीर की लत ने उनके स्वास्थ्य पर काफी गहरा असर डाला.‌ एक समय तो वह इतने कमजोर हो गए थे कि एक गिलास शराब भी नहीं पी पाते थे. जहांगीर के डॉक्टर ने चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने शराब पीना बंद नहीं किया तो वह 6 महीने भी जीवित नहीं रह पाएंगे. इसके बाद जहांगीर ने अफीम और बाकी सूखे नशों का सेवन करना शुरू कर दिया. वक्त के साथ-साथ शासन करने के उनकी क्षमता कमजोर होती गई और इसके बाद उनकी पत्नी नूरजहां ने प्रशासन की बागडोर संभाली. सिर्फ जहांगीर ही नहीं बल्कि उनके भाई मुराद और दानियाल भी शराब की लत से जूझते रहे. यही लत उनकी मृत्यु की वजह बनी. शराब और अफीम के प्रति उनके प्रेम ने न सिर्फ उनके निजी जीवन को बल्कि मुगल दरबार को भी काफी ज्यादा प्रभावित किया.

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