Elevator History: एक बार आप बिना लिफ्ट वाले किसी भी शहर की कल्पना कीजिए. अगर ऐसा होता तो शायद उन शहरों में ऊंची ऊंची गगनचुंबी इमारतें और बड़े कार्यालय परिसर शायद होते ही नहीं. लिफ्ट के आविष्कार ने दैनिक जीवन और कार्य को इतना आसान बना दिया है कि इसके बाद दुनिया भर के शहरी परिदृश्य ही बदल गए. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह आविष्कार कैसे हुआ? आइए जानते हैं.

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लिफ्ट का आविष्कार 

भारी चीजों को उठाने की अवधारणा रोमन काल से ही चली आ रही है. लगभग पहली शताब्दी ईसा पूर्व रोमन इंजीनियर विट्रूवियस पोलियो ने इमारत और पुलों के निर्माण के समय भारी चीजों को ले जाने के लिए पुली द्वारा उठाए गए प्लेटफार्म डिजाइन किए थे. यह शुरुआती लिफ्ट मानव, पशु या फिर जल शक्तियों पर निर्भर थी. वक्त के साथ तकनीक विकसित होते रही जिसमें लगभग 1800 ईस्वी में भाप की शक्ति और बाद में 19वीं शताब्दी की शुरुआत में हाइड्रोलिक सिस्टम शामिल किए गए. शुरुआती दौर में लिफ्ट का इस्तेमाल लोगों के बजाए सामान ढोने के लिए किया जाता था.

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एलीशा ओटिस और आधुनिक यात्री लिफ्ट 

लिफ्ट की तकनीक में बड़ी सफलता 1852 में मिली जब अमेरिकी उद्योगपति एलीशा ग्रेव्स ओटिस ने कुछ ऐसे सुरक्षा उपकरण पेश किया जो लिफ्टिंग तंत्र के खराब होने पर लिफ्ट को गिरने से रोक सकते थे. इस आविष्कार के बाद सिर्फ सामान ही नहीं बल्कि यात्रियों के सुरक्षित परिवहन का मार्ग भी प्रशस्त हुआ. 1857 तक पहला यात्री लिफ्ट न्यूयॉर्क शहर के हैवूट डिपार्टमेंट स्टोर में स्थापित किया गया. यह भाप से चलने वाला था और 1 मिनट से भी कम समय में पांच मंजिलों तक चढ़ने में सक्षम था. 1889 में पुश बटन नियंत्रण जैसे आविष्कार हुए जिसने इसकी सुविधा और उपयोगिता को और भी बढ़ा दिया. 

कैसे हुआ विकास?

गति, सुरक्षा और ऊंचाई जैसी शुरुआती चुनौतियों का समाधान करने के बाद इंजीनियरों ने सुविधा और दक्षता के लिए लिफ्टों में नए सुधार करने शुरू किए. 1950 तक आते-आते लिफ्ट काफी हद तक स्वचालित हो गई और इनमें इलेक्ट्रिक मोटर, लोहे के तार, पुली और बैलेंस वेट भी शामिल थे. आज लिफ्टों का इस्तेमाल न सिर्फ ऊंची इमारतों में बल्कि जहाज, बांधों और औद्योगिक परियोजनाओं में भी किया जाता है.आज के समय में आधुनिक गगनचुंबी इमारतें न सिर्फ कार्य क्षमता के लिए बल्कि आर्थिक रूप से भी  लिफ्टों पर निर्भर हैं.

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