Demonetization: पुराने करेंसी नोटों को वापस लेना और नए नोटों को लाना किसी भी देश के सबसे बड़े आर्थिक फैसलों में से एक है. लेकिन इसी बीच सवाल यह उठता है कि भारत देश में इतने बड़े फैसले को आखिर कौन लेता है. साथ ही नोटबंदी के पीछे किस प्रक्रिया का पालन किया जाता है. आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब.

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भारत में करेंसी को डिमोनेटाइज करने का अधिकार किसके पास?

वैसे तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया करेंसी जारी करने और रेगुलेट करने का काम करता है लेकिन नोटों को डिमोनेटाइज करने का अंतिम अधिकार सेंट्रल गवर्नमेंट के पास ही होता है. आरबीआई एक्ट 1934 के तहत सरकार किसी भी करेंसी डिमोनेटाइज को लीगल टेंडर के तौर पर अमान्य घोषित कर सकती है. ठीक ऐसा ही 8 नवंबर 2016 को हुआ था जब 500 और 1000 के नोट रातों रात डिमॉनेटाइज कर दिए गए थे. 

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इस पूरी प्रक्रिया में आरबीआई की भी बड़ी भूमिका होती है. देश की मॉनेटरी अथॉरिटी होने के नाते यह सरकार को टेक्निकल, फाइनेंशियल और ऑपरेशनल इनपुट देता है. आरबीआई के द्वारा यह पक्का किया जाता है कि नए नोट सरकुलेशन के लिए तैयार हों, सिक्योरिटी फीचर का मूल्यांकन हो और पुराने नोटों को वापस लेने और नए नोट लाने के लिए बड़े पैमाने पर लॉजिस्टिक्स को लागू करने में मदद हो. असल में फैसला सरकार करती है और आरबीआई यह पक्का करता है कि सिस्टम सुचारू तरीके से कम कर सके. 

डिमोनेटाइजेशन प्रकिया कैसे करती है काम?

2016 की नोटबंदी प्रक्रिया के बारे में साफ तस्वीर पेश करती है. दरअसल सेंट्रल गवर्नमेंट कुछ खास उद्देश्यों को हासिल करने के मकसद से पॉलिसी फैसले से शुरू करती है. जैसे कि काले धन पर रोक लगाना, जाली नोटों के सरकुलेशन को रोकना या फिर अवैध फाइनेंसिंग को रोकना. जैसे ही फैसला हो जाता है आरबीआई नई करेंसी की सप्लाई का आकलन करने, डिजाइन को बेहतर करने और बेहतर सिक्योरिटी फीचर्स के वेरीफाई करने के लिए मिलकर काम करता है. 

इसके बाद सरकार आरबीआई एक्ट के प्रावधान के तहत एक आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी करती है. यह नोटिफिकेशन चुनी हुई तारीख से पुराने नोटों को औपचारिक रूप से अमान्य घोषित कर देता है. इसके बाद लीगल टेंडर के तौर पर उनका स्टेटस खत्म हो जाता है. जैसे ही नोटबंदी की घोषणा हो जाती है इंप्लीमेंटेशन का चरण शुरू हो जाता है. आरबीआई बैंकों को नए करेंसी नोट सप्लाई करता है. इसी के साथ आरबीआई कैश फ्लो को मैनेज करता है और बंद किए गए नोटों को बदलने या जमा करने के लिए गाइडलाइन तय करता है.

सर्कुलेशन में कैसे आते हैं नए नोट?

पुराने नोटों को वापस लेने के साथ इकॉनमी में लिक्विडिटी को बनाए रखने के लिए नए नोटों का लाना बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है. आरबीआई नए डिजाइन के नोट जारी करता है. ये नए नोट बैंक, एटीएम और कैश डिस्ट्रीब्यूशन पॉइंट्स के जरिए इकोनॉमी में आते हैं.

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