जब लिवर गंभीर रूप से डैमेज हो जाता है और दवाओं से इलाज संभव नहीं रह जाता, तब लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है. भारत समेत दुनियाभर में हर साल हजारों लोग इस सर्जरी की मदद से नई जिंदगी पाते हैं. लेकिन लिवर ट्रांसप्लांट उतना ही जटिल होता है, जितना जीवनदायी. आइए जानते हैं कि कौन व्यक्ति लिवर डोनेट कर सकता है? कितना करीबी रिश्तेदार डोनर बन सकता है?

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कौन डोनेट कर सकता है लिवर डोनेट?

लिवर ट्रांसप्लांट दो तरह से होता है. पहला तरीका होता है कैडेवर डोनेशन, जिसमें मृत व्यक्ति से लिवर ट्रांसप्लांट किया जाता है. दूसरा लिविंग डोनर ट्रांसप्लांट का तरीका होता है. इसमें जीवित व्यक्ति से लिवर का एक हिस्सा ट्रांसप्लांट होता है. यहां बात लिविंग डोनर ट्रांसप्लांट की हो रही है, जिसमें कोई जीवित व्यक्ति अपना आधा लिवर मरीज को देता है. अच्छी बात ये है कि लिवर अपने आप दोबारा विकसित हो जाता है, इसलिए दोनों (डोनर और रिसीवर) कुछ ही महीनों में सामान्य जीवन जी सकते हैं. 

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लिवर डोनेशन के लिए नियर रिलेटिव होना सबसे अहम होता है. जिसमें माता-पिता, भाई-बहन, बेटा-बेटी और बाकी रिश्तेदार शामिल हो सकते हैं. अगर कोई रिश्तेदार नहीं है या ब्लड ग्रुप मैच नहीं हो रहा है, तब अल्ट्रूइस्ट्रिक डोनर (जो भावनात्मक रूप से जुड़ा हो) या स्वैप ट्रांसप्लांट (दो परिवार आपस में डोनर एक्सचेंज करते हैं) की अनुमति ली जा सकती है. अगर कोई व्यक्ति जो करीबी रिश्तेदार भी नहीं है और डोनर बनना चाहता है तो बन सकता है. इसके लिए सबसे जरूरी बात यह है कि डोनर पूरी तरह खुद की मर्जी से लिवर डोनेट करना चाहता हो. किसी के ऊपर आप जोर-जबरदस्ती करके उससे लिवर डोनेट नहीं करवा सकते हैं, ऐसे करने पर सजा मिलती है. 

लिवर डोनेट करने के लिए नियम और शर्तें

लिवर डोनेट करने वाले व्यक्ति यानी डोनर के लिए कुछ जरूरी शर्तें होती हैं. सबसे पहले, उसकी उम्र 18 से 60 साल के बीच होनी चाहिए. 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति लिवर दान नहीं कर सकते, क्योंकि यह कानूनी और मेडिकल दोनों ही नजरिए से सुरक्षित नहीं माना जाता. इसके अलावा, डोनर का शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ होना जरूरी है.

कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे गंभीर बीमारियां हों, जैसे डायबिटीज, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, हेपेटाइटिस बी या सी, एचआईवी/एड्स या कैंसर, वह लिवर डोनेट नहीं कर सकता. इन बीमारियों की मौजूदगी में लिवर ट्रांसप्लांट प्रक्रिया जोखिमभरी हो सकती है और इससे मरीज और डोनर दोनों की जान को खतरा हो सकता है. इसलिए, लिवर डोनेशन से पहले मेडिकल जांच के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि डोनर पूरी तरह फिट है और उसके द्वारा दिया गया लिवर सुरक्षित तरीके से ट्रांसप्लांट किया जा सकता है.

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