Mughal Period Village: दिल्ली के सबसे पुराने गांव कौन-से, जानें मुगलों के जमाने से कायम है कौन-सा गांव?
Mughal Period Village: दिल्ली में कुछ गांव मुगल काल के वक्त से मौजूद हैं. इन गांवों में आज भी इतिहास की खुशबू महसूस की जा सकती है. आधुनिक दिल्ली के बीच ये गांव मुगल काल की झलक पेश करते हैं.

Mughal Period Village In Delhi: दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास स्थित लगभग तीन सौ साल पुराना मेहरम नगर गांव गांव मुगल काल से यहां मौजूद है और यहां कई पीढ़ियों से लोग रह रहे हैं. हाल ही में, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) ने गांववासियों को एक नोटिस दिया था और उन्हें 30 सितंबर तक गांव खाली करने का आदेश दिया था. दिल्ली की गलियों और आधुनिक कॉलोनियों के बीच आज भी कुछ ऐसे गांव मौजूद हैं, जिनकी जड़ें सीधे मुगल काल या उससे पहले के समय तक जाती हैं.
इन गांवों की शुरुआत कभी शाही प्रशासन, मुगल सैनिकों या कारीगर बस्तियों के रूप में हुई थी. समय के साथ ये गांव शहरी विकास का हिस्सा बन गए, लेकिन इनके नाम, वास्तुकला और कुछ ऐतिहासिक स्मारक आज भी उस दौर की कहानी बयां करते हैं. चलिए जानें कि कौन से गांव मुगल काल से कायम हैं.
मेहरम नगर
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास स्थित यह गांव मुगल काल से जुड़ा हुआ माना जाता है. कहा जाता है कि यहां पहले छोटे किले और कृषि केंद्र थे, जो बाद में शाही प्रशासन की देखरेख में डेवलप हुए. मेहरम नगर का महत्व उस समय इसलिए भी बढ़ा क्योंकि यह राजधानी के पास रणनीतिक रूप से स्थित था.
हौज खास
हौज खास का अर्थ होता है 'शाही जलाशय'. 13वीं सदी में यहां एक विशाल जलाशय बनाया गया था, जिसका उद्देश्य आसपास के महलों और बस्तियों को पानी उपलब्ध कराना था. मुगल काल में यह इलाका प्रशासनिक और आवासीय केंद्र के रूप में विकसित हुआ था. आज भी हौज खास की झील, मदरसे और मकबरे मुगल वास्तुकला की झलक पेश करते हैं.
बादली
कुछ इतिहासकारों के अनुसार बादली दिल्ली का सबसे पुराना गांव बताया जाता है. यह जीटी करनाल बाइपास के पास स्थित है और कभी खेती और स्थानीय व्यापार का केंद्र रहा था. मुगल काल में बादली के लोग आसपास के किले और चौकियों के लिए अनाज और अन्य संसाधन मुहैया कराते थे.
महरौली
दिल्ली का सबसे पुराना इलाका माना जाने वाला महरौली, राजपूत और सुल्तान काल से भी जुड़ा है, लेकिन मुगल शासन के दौरान इसकी अहमियत बढ़ी थी. अकबर और औरंगजेब के दौर में यहां कई मकबरे, मस्जिदें और बावड़ियां बनाई गईं थीं. मशहूर कुतुब कॉम्प्लेक्स और जमाली कमाली मस्जिद इसी क्षेत्र में हैं.
निजामुद्दीन, बेगमपुर, शाहपुर जट और हुमायूंपुर
निजामुद्दीन गांव सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के लिए जाना जाता है. मुगल काल में यह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र रहा था. यहां हुमायूं के मकबरे सहित कई मुगलकालीन इमारतें मौजूद हैं. वहीं बेगमपुर गांव मोहम्मद बिन तुगलक के समय स्थापित है. इसे मुगलों द्वारा और विकसित किया गया था. बेगमपुर मस्जिद आज भी दिल्ली की सबसे शानदार प्राचीन मस्जिदों में से एक मानी जाती है. शाहपुर जट मूल रूप से जाट समुदाय की बस्ती था, जहां लोग खेती करते थे. हुमायूंपुर का नाम ही हुमायूं के समय से जुड़ा हुआ है और माना जाता है कि यह मुगल सैनिकों और कारीगरों की बस्ती थी.
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Source: IOCL























