जब भी भारत के आर्थिक हालातों की बात होती है तो अक्सर सुनने को मिलता है कि अमीर और अमीर हो रहे हैं, गरीब और गरीब. लेकिन आज जो सबसे बड़ी और जरूरी बात सामने आ रही है वह ये है कि अब पैसे वाले गरीब यानी मिडिल क्लास देश की राजनीति, अर्थव्यवस्था और बजट का एक बड़ा हिस्सा बन चुका है. हर चुनाव में पार्टियां मिडिल क्लास को अट्रैक्ट करने की कोशिश करती हैं. बजट आते ही सबसे ज्यादा उम्मीदें मिडिल क्लास को होती हैं, चाहे वो इनकम टैक्स में छूट हो, जीएसटी स्लैब में बदलाव या महंगाई से थोड़ी राहत. ऐसे में चलिए जानते हैं कि किस राज्य में सबसे ज्यादा पैसे वाले गरीब हैं. 

पैसे वाले गरीब यानी मिडिल क्लास क्या है?

जिनकी सालाना इनकम 3 लाख से 10 लाख के बीच है, वे मिडिल क्लास हैं. वहीं दूसरी रिपोर्ट कहती है कि प्रति व्यक्ति सालाना 2.5 लाख रुपये की कमाई वाले परिवार को मिडिल क्लास में रखा जा सकता है. कुछ सर्वे तो 5 लाख से 30 लाख रुपये सालाना कमाने वालों को मिडिल क्लास मानते हैं यानी अगर कोई परिवार महीने में 25,000 से लेकर सालाना 10 लाख तक कमाता है, तो उसे आम तौर पर मिडिल क्लास माना जाता है. मिडिल क्लास वह तबका है जो सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स देता है, बिना किसी सरकारी मदद के बच्चों को पढ़ाता है और न ही गरीबों की तरह सब्सिडी पाता है.  

किस राज्य में सबसे ज्यादा पैसे वाले गरीब हैं

भारत में सबसे ज्यादा मिडिल क्लास के लोग झारखंड में हैं. झारखंड, जिसे लंबे समय तक गरीब राज्य माना गया, आज देश के कई समृद्ध राज्यों को पीछे छोड़ चुका है. आयकर विभाग (ITR) के मुताबिक, झारखंड में 20.6 प्रतिशत टैक्स दाता ऐसे हैं जो सालाना 12 लाख से 50 लाख रुपये कमाते हैं. वहीं गुजरात में यह आंकड़ा केवल 7 प्रतिशत है यानी झारखंड में कमाने वाला मिडिल क्लास तीन गुना ज्यादा है. झारखंड में मिडिल क्लास सबसे ज्यादा होने के कई कारण हैं. जैसे खनन और उद्योगों का तेजी से विकास, सरकार की योजनाओं से छोटे व्यापारियों को मदद मिली, स्थानीय संसाधनों जैसे कोयला, लौह अयस्क आदि से अच्छी नौकरियां मिलीं. इसका असर आम लोगों की इनकम पर पड़ा है. यही वजह है कि झारखंड में अब पैसे वाले गरीब की मजबूत नींव बन गई है. 

अन्य राज्यों की स्थिति कैसी है?

गुजरात में बहुत सारे लोग 50 लाख रुपये से ज़्यादा कमाते हैं, जिससे मिडिल क्लास की संख्या कम दिखती है. बड़े उद्योगपति तो खूब पैसा कमा रहे हैं, लेकिन छोटे व्यापारी और मिडिल क्लास पिछड़ रहे हैं. ऐसे में समृद्धि सिर्फ ऊपर के 1 प्रतिशत लोगों तक सीमित है. यानि गुजरात में एक तरह से अमीर-अमीर होता गया, लेकिन मिडिल क्लास दबा ही रह गया है. वहीं दिल्ली टैक्स देने में सबसे आगे है. दिल्ली में 34 प्रतिशत लोग टैक्स देते हैं, जो देश में सबसे ज्यादा है. दिल्ली में मिडिल क्लास मजबूत है. कर्नाटक में भी 20 प्रतिशत टैक्सदाता 1 लाख रुपये, माह या उससे ज्यादा कमाते हैं. यहां IT और टेक्नोलॉजी की वजह से तेजी से इनकम बढ़ रही है.

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