जब सांसें थम जाती हैं और दिल की धड़कनें आखिरी विदा ले लेती हैं, तो दुनिया मान लेती है कि इंसान का खेल खत्म हो गया है. सफेद कफन ओढ़े शरीर को देखकर हम मृत्यु की घोषणा कर देते हैं, लेकिन कुदरत की प्रयोगशाला में कहानी इतनी जल्दी खत्म नहीं होती है. विज्ञान की खिड़की से झांकें तो मौत कोई एक पल का हादसा नहीं, बल्कि एक धीमी प्रक्रिया है. शरीर का एक हिस्सा ऐसा है जो हार मानने से इनकार कर देता है और उस वक्त भी अपना काम जारी रखता है जब बाकी दुनिया के लिए आप सिर्फ एक याद बन चुके होते हैं. आखिर कौन सा है वो जिद्दी अंग जो मौत के बाद भी जिंदगी की मशाल जलाए रखता है? आइए जानें.

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जब धड़कनें रुकती हैं पर 'वो' नहीं सोता

अक्सर हम सोचते हैं कि जैसे ही अस्पताल की मॉनिटर स्क्रीन पर सीधी लकीर आती है, शरीर का हर पुर्जा एक साथ थम जाता है. पर सच यह है कि हमारा शरीर किसी बहुमंजिला इमारत की तरह है जहां लाइट कटने के बाद भी कुछ कमरों में इमरजेंसी लैंप जलते रहते हैं. जैसे ही हृदय धड़कना बंद करता है, शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई कट जाती है. सबसे पहले मस्तिष्क यानी हमारे 'सुपर कंप्यूटर' में खलबली मचती है. बिना ऑक्सीजन के दिमाग की कोशिकाएं महज 3 से 7 मिनट के भीतर दम तोड़ने लगती हैं. लेकिन इस अफरा-तफरी के बीच शरीर का एक ऐसा हिस्सा है जो बेहद शांत और सब्र वाला है, और वो है हमारी त्वचा यानी स्किन.

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और कौन से अंग हार नहीं मानते

हैरानी की बात यह है कि जब दिल, फेफड़े और दिमाग पूरी तरह मर चुके चुके होते हैं, तब भी त्वचा की कोशिकाएं (Skin Cells) हार नहीं मानतीं हैं. त्वचा को ऑक्सीजन की उतनी ज्यादा और तत्काल जरूरत नहीं होती जितनी कि नाजुक अंगों को होती है. रिसर्च बताती है कि मौत के घंटों बाद और कभी-कभी तो 24 घंटे से भी ज्यादा समय तक त्वचा की कोशिकाएं बाहरी वातावरण से नमी सोखकर या अपने पास जमा ऊर्जा के दम पर जीवित रहती हैं. 

यही वजह है कि अंगदान (Organ Donation) की प्रक्रिया में त्वचा को काफी समय बाद भी सुरक्षित निकाला जा सकता है. यह शरीर का वो आखिरी सिपाही है जो सबसे अंत में मैदान छोड़ता है.

क्या मौत के बाद भी बढ़ते हैं नाखून और बाल?

इंसानी शरीर का अंत किसी स्विच ऑफ होने जैसा नहीं है, बल्कि यह एक फिल्म के 'फेड आउट' होने जैसा है. नाखून और बालों को लेकर भी अक्सर लोग कहते हैं कि वे मौत के बाद बढ़ते हैं, हालांकि वैज्ञानिक रूप से यह एक दृष्टि भ्रम है. दरअसल, त्वचा के सूखने और सिकुड़ने की वजह से नाखून और बाल ज्यादा लंबे दिखाई देने लगते हैं. 

व्हाइट ब्लड सेल्स का संघर्ष

लेकिन अगर बात कोशिकाओं की जिजीविषा की हो, तो हमारी सफेद रक्त कोशिकाएं (White Blood Cells) भी काफी देर तक संघर्ष करती रहती हैं. मौत के बाद का यह 'बायोलॉजिकल क्लॉक' हमें बताता है कि कुदरत ने हमें कितनी जटिलता और मजबूती से बनाया है कि मौत भी हमें एक झटके में पूरी तरह नहीं मिटा पाती है. 

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