Crypto Mining: जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल युग की तरफ बढ़ रही है क्रिप्टोकरंसी माइनिंग एक बड़ी इंडस्ट्री के रूप में उभर रही है. 2025 तक संयुक्त राज्य अमेरिका क्रिप्टो माइनिंग में सबसे आगे रहा. संयुक्त राज्य अमेरिका खास तौर से बिटकॉइन माइनिंग में वैश्विक अग्रणी बना हुआ है. यह बदलाव 2021 में चीन द्वारा क्रिप्टो माइनिंग पर प्रतिबंध लगाने के बाद शुरू हुआ. इसी की वजह से माइनिंग कंपनियों को एक नई जगह तलाशनी पड़ी और अमेरिका प्राथमिक गंतव्य बन गया. इसी बीच आइए जानते हैं कि क्रिप्टो करेंसी माइनिंग में भारत किस स्थान पर है.
वैश्विक खनन केंद्र के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका
संयुक्त राज्य अमेरिका अब वैश्विक बिटकॉइन हैश दर के लगभग 37-44% को नियंत्रित करता है. इसी के साथ टेक्सास, जॉर्जिया और नॉर्थ डकोटा दो बड़े लाभ देते हैं. सस्ती बिजली और अनुकूल खनन नियम. यहां की कई माइनिंग कंपनियां रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेस का इस्तेमाल करती हैं, जिससे माइनिंग का काम काफी ज्यादा कुशल और टिकाऊ हो जाता है.
प्रतिबंध के बावजूद चीन एक बड़ा खिलाड़ी
2021 के माइनिंग प्रतिबंध के बाद भी चीन वैश्विक बिटकॉइन माइनिंग क्षमता में लगभग 20% का योगदान दे रहा है. चीन में कई माइनिंग अब भूमिगत रूप से संचालित होती हैं. इसी के साथ ये माइनिंग अक्सर पता लगाने और बिजली की लागत को कम करने के लिए के लिए प्रचुर हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर वाले क्षेत्रों में शिफ्ट हो जाती हैं.
बाकी प्रमुख खनन क्षेत्र
इसी के साथ कजाकिस्तान और रूस जैसे देश भी बड़े माइनिंग सेंटर बनकर उभरे हैं. कम बिजली दरों की वजह से कजाकिस्तान वैश्विक खनन हिस्सेदारी का लगभग 12% हिस्सा रखता है. इसी के साथ रूस अपनी ठंडी जलवायु और सस्ती बिजली की वजह से लगभग 10.5% हिस्सा रखता है. इन सब के साथ कनाडा और ईरान भी वैश्विक खनन क्षमता में योगदान दे रहे हैं.
क्रिप्टो माइनिंग में भारत की स्थिति
माइनिंग क्षमता के मामले में भारत का स्थान बहुत ज्यादा नीचे है. वैश्विक हैश दर में इसका योगदान सिर्फ 0.03% का है. इसकी मुख्य वजह नियामक अनिश्चित है. दरअसल यहां पर माइनिंग की अनुमति है या फिर नहीं इस बात को स्पष्ट करने वाली कोई कानूनी नीति नहीं है. इस वजह से निवेशक हिचकिचाते हैं. इसके अलावा भारत में बिजली की लागत कई दूसरे देशों की तुलना में काफी ज्यादा है. इसी के साथ आपको बता दें कि खनन के मामले में भले ही भारत कमजोर हो लेकिन क्रिप्टोकरंसी अपनाने में यह दुनिया भर में पहले स्थान पर है.
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