Drone Engines: आधुनिक युद्धों में ड्रोन एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. कई बड़े देश ड्रोन निर्माण में अपना दबदबा बना चुके हैं. इसी के साथ अब सब की नजर भारत पर है जो तेजी से अपने स्वदेशी ड्रोन इंजन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. आइए जानते हैं कि वर्तमान में कौन से देश ड्रोन का इंजन बनाते हैं और इस मामले में भारत की क्या स्थिति है.

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ड्रोन इंजन बनाने वाले बड़े देश 

अमेरिका 

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संयुक्त राज्य अमेरिका ड्रोन तकनीक के मामले में काफी आगे है. इसने MQ-9 रीपर और RQ-4 ग्लोबल हॉक जैसे नई तकनीक के ड्रोन विकसित किए हैं. ये दोनों ही काफी दमदार इंजनों से चलते हैं. जनरल एटॉमिक्स और प्रैट एंड व्हिटनी जैसी अमेरिकी रक्षा कंपनियों ने यूएवी प्रोपल्शन सिस्टम के लिए बड़े और वैश्विक मानक स्थापित किए हैं. इस कदम के बाद अमेरिका इस क्षेत्र में एक बड़ा लीडर बन चुका है.

चीन

इसी के साथ अगर बात करें चीन की तो यह देश कमर्शियल और सैन्य दोनों तरह के दोनों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक बन चुका है. डीजेआई जैसी कंपनियां वैश्विक उपभोक्ता ड्रोन बाजार पर अपना दबदबा बनाए हुए हैं और इसी के साथ विंग लूंग और सीएच सिरीज जैसे सैन्य ड्रोन इस देश की तकनीकी मजबूती को दर्शाते हैं. चीन ड्रोन इंजनों के पुर्जों का भी निर्माण करता है और पूरी दुनिया में एक्सपोर्ट करता है.

इजराइल 

इस लिस्ट में इजराइल का नाम भी शामिल है जो आधुनिक यूएवी विकसित करने वाला पहले देशों में से एक था. इजराइल एयरोस्पेस इंडस्टरीज ने हेरॉन और सर्चर जैसे ड्रोन बनाए हैं और इन ड्रोन का इस्तेमाल भारतीय रक्षा बलों द्वारा किया गया है. 

तुर्की 

बीते कुछ सालों में तुर्की अपने बायरकटार और अंका ड्रोन की वजह से एक बड़े खिलाड़ी के रूप में सामने आया है. यह ड्रोन टिकाउपन और सटीक निशाना लगाने के लिए डिजाइन किए गए स्वदेशी इंजनों द्वारा कंट्रोल किए जाते हैं.

ईरान 

ईरान का कहना है कि उसने स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल करके अपने खुद के यूएवी इंजन बनाए हैं. शाहेद 136 जैसे ड्रोन‌ विकसित करने में ईरान को बड़ी सफलता मिली है. 

क्या ड्रोन इंजन बनाने में भारत है आत्मनिर्भर

भारत विदेशी ड्रोन पार्ट्स पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है. सरकार आत्मनिर्भर होने के लिए उत्पादन लिंक प्रोत्साहन योजना को शुरू कर चुकी है. इसका उद्देश्य 2030 तक भारत को एक वैश्विक ड्रोन केंद्र में बदलना है. वहीं रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड जैसे संगठन स्वदेशी इंजनों से चलने वाले लंबी दूरी के ड्रोन बनाने में कड़ी मेहनत कर रहे हैं. 

इसी के साथ भारत 1000 किलोमीटर की प्रभावशाली मारक क्षमता वाला कामिकेज ड्रोन भी विकसित कर रहा है. ये सेल्फ डिस्ट्रक्टिंग यूएवी सटीक हमलों के लिए डिजाइन किए गए हैं और स्वदेशी इंजनों से संचालित होंगे.

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