अक्सर लोग अपने घर में पालतू जानवर रखने के शौकिन होते हैं. कई बार वो उनके इतना करीब आ जाते हैं कि उनके दूर जाने पर काफी दुख भी होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कुछ धर्मों में कुछ जानवरों को पालने की मनाही होती है. जी हां, इस्लाम एक ऐसा ही धर्म है जहां जानवरों को पालने के भी कुछ नियम हैं. इस्लाम धर्म का पालन करने वाले लोग इन नियमों का पालन करके ही जानवरों को पाल सकते हैं. दरअसल कुरान में इस बात का उल्लेख किया गया है कि किन जानवरों को घर में पाला जा सकता है और किन जानवरों को पालना हराम है. तो चलिए आज हम जानते हैं इस्लाम में हलाल और हराम माने जाने वाले जानवर कौनसे हैं.

क्या है हलाल और हराम?सबसे पहले ये समझ लेते हैं कि हलाल और हराम होता क्या है. दरअसल हलाल अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है जायज या मुनासिब यानी जो करने की इजाजत हो. वहीं हराम का अर्थ होता है निषिद्ध या वर्जित यानी जो करना उचित न माना जाता हो. ऐसे में इस्लाम में ऐसी कई चीजें हैं जो हराम मानी गई हैं उन्हीं में कुछ जानवरों को पालना भी शामिल है.

इस्लाम में इन जानवरों को रखना माना जाता है हरामकुत्ते- इस्लाम की कई जगह लिखी गई व्याख्याओं में कुत्तों को अशुद्ध माना गया है. इस्लाम धर्म के अनुसार यदि कुत्तों का लार किसी चीज में लग जाए तो उसे खाया नहीं जाता. धर्म के अनुसार कुत्तों को सिर्फ शिकार या रखवाली जैसे विशिष्ट उद्देश्यों के लिए ही रखा जा सकता है.

सूअर- इन्हें इस्लामी कानून में अशुद्ध माना जाता है. इस्लाम का पालन करने वाले लोग सूअर का नाम लेना भी हराम मानते हैं.

शिकारी पक्षी- बाज, चील या पंजे वाले अन्य पक्षियों को अक्सर हराम माना जाता है क्योंकि वे शिकारी होते हैं. दरअसल इस्लाम के अनुसार वो पक्षी पालना हराम हैं जो शिकारी हों.

सरीसृप- कई इस्लामिक विद्वान सांप या छिपकली जैसे जानवरों को उनके संभावित खतरे के कारण हराम मानते हैं.

कीड़े- इसके अलावा इस्लाम के अनुसार नुकसान पहुंचाने या परेशान करने की ताकत रखने के कारण कुछ कीड़ों को पालना हराम माना गया है.