राजधानी दिल्ली में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना के आदेश पर दिल्ली पुलिस द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों की जांच करके उन्हें वापस डिपोर्ट करने की तैयारी में है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि भारत में सबसे ज्यादा रोहिंग्या कहां पर है. आज हम आपको बताएंगे कि क्या रोहिंग्या के बच्चे स्कूल जा सकते हैं. जानिए इसको लेकर देश में क्या नियम है.
देशभर में रोहिंग्या मुसलमान
रोहिंग्या मुसलमान राजधानी दिल्ली समेत देशभर में रहते हैं. गृह मंत्रालय की 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक उस समय भारत में 40 हजार रोहिंग्या गैरकानूनी तरीके से रहते थे. इनमें से ज्यादातर जम्मू-कश्मीर,हैराबाद,उत्तर-प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर में रहते थे. हालांकि अब देशभर में रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या बढ़ चुकी है. वहीं खासकर राजधानी दिल्ली में अब तक दर्जनों रोहिंग्या मुसलमानों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान?
अब सवाल ये है कि रोहिंग्या मुसलमान कौन हैं? बता दें कि रोहिंग्या मुसलमानों का एक समुदाय है. म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों की एक बड़ी आबादी रहती है. लेकिन दशकों से म्यांमार में इन्हें भेदभाव और उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा है. वहीं रोहिंग्या मुसलमान दावा करते हैं कि वे म्यांमार के मुस्लिमों के वंसज है, मगर म्यांमार इन्हें बंग्लादेशी घुसपैठियां बताता है. वहीं अंग्रेजी शासन के दौरान बंग्लादेश से इनके म्यांमार आकर बसने का दावा किया जाता है. दूसरी तरफ म्यांमार की सीमा से सटा बांग्लादेश रोहिंग्या समुदाय को अपना मानता ही नहीं है, जिस कारण इन्हें किसी भी देश की नागरिकता नहीं मिल पाई है.
रोहिंग्या मुसलमानों के बच्चे जा सकते हैं स्कूल
अब सवाल ये है कि क्या रोहिंग्या मुसलमानों के बच्चे स्कूल जा सकते हैं? बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली में रोहिंग्या को लेकर राजनीति एक बार फिर से तेज हो गई है. हालांकि आपको बता देंगे कि जो रोहिंग्या मुसलमानों ने यूएनएचआरसी में रजिस्ट्रेन कराया है, उन्हें कुछ सुविधाएं भी मिल जाती है. इन सुविधाओं के तहत ही यूएनएचआरसी के कार्ड के ज़रिए रोहिंग्या बच्चों का स्कूलों में दाख़िला हो जाता है. यानी आसान भाषा में किसी परिवार के पास यूएनएचआरसी कार्ड है और उनके परिवार में बच्चे हैं, तो वो दिल्ली के स्कूलों में एडमिशन ले सकते हैं. हालांकि ये सब कुछ व्यवस्था सरकार पर निर्भर करती है, सरकार रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है.
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