अरबी में एक शब्द है हजब यानी छिपाना या ढकना. कहा जाता है कि हिजाब शब्द वहीं से आया. लेकिन बीते कुछ वर्षों से हिजाब विद्रोह की पर्यायवाची बन गई है. भारत में जहां इसके पक्ष में विद्रोह हुआ, वहीं ईरान में इसके विरोध में विद्रोह हुआ. खैर, आज हम इसमें नहीं पड़ेंगे, बल्कि आपको बताएंगे कि आखिर इस्लाम में हिजाब को लेकर क्या कहा गया है और इसके मायने क्या हैं.
पहले समझिए हिजाब है क्या
हिजाब अपने आप में कोई कपड़ा नहीं है. बल्कि हिजाब शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर सिर को ढकने के लिए किया जाता है. अक्सर इस शब्द का इस्तेमाल मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले सिर के स्कार्फ़ के लिए किया जाता है. ये स्कार्फ़ सिर और गर्दन को ढकता है. लेकिन चेहरा दिखाई देता है.
इस्लाम में हिजाब के मायने
बीबीसी को दिए अपने इंटरव्यू में केरल यूनिवर्सिटी के इस्लामी इतिहास के प्रोफेसर अशरफ कदक्कल कहते हैं कि इस्लामी विधिशास्त्र के सभी चार स्कूलों- शफ़ी, हनफ़ी, हनबली और मलिकी में साफ-साफ बताया गया है कि महिला के बाल को, खासतौर से गै़र-महरम के सामने, ढका होना चाहिए. इस तरह से यह इस्लाम का अटूट हिस्सा है. उन्होंने आगे कहा कि यहां तक कि इस्लामी कानून के आधार पर कुरान, हदीस, इज्मा और क़यास में भी ज़िक्र है कि बालों को ढकना चाहिए.
हिजाब, नकाब, बुर्का, अल-अमीरा में अंतर
हिजाब क्या है ये तो हमने आपको ऊपर ही बता दिया. अब जानिए कि नकाब किसे कहते हैं. नकाब, हिजाब से अलग होता है. नकाब चेहरे के लिए एक तरह का पर्दा होता है. इसे आप मास्क की तरह समझ सकते हैं. लेकिन ये मास्क से काफी अलग होता है. वहीं बुर्का की बात करें तो यह महिला को पूरी तरह से ढक देता है. बुर्का अगर कोई महिला पहनती है तो सिर्फ उसकी आंखें दिखती हैं बाकी शरीर का पूरा हिस्सा ढका होता है. अब अल-अमीरा की बात करें तो यह भी हिजाब की ही तरह होता है, लेकिन इसमें एक खास टोपी भी होती है. इस टाइट फिटिंग वाली टोपी को महिलाएं सिर पर पहनती हैं फिर ऊपर से ट्यूब जैसा एक दुपट्टा या स्कार्फ होता है उसे पहन लेती हैं.
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