विज्ञान के कारण ये कहा जा सकता है कि सब कुछ संभव है. हां, ये जरूर है कि किसी भी बड़ी प्रकिया में लंबा समय या सदी तक लग सकता है. जैसे आने वाले समय में मनुष्य मंगल ग्रह पर बस सकते हैं.  लेकिन क्या आप जानते हैं कि मंगल ग्रह पर पैदा होने वाले बच्चे धरती के बच्चों से बिल्कुल अलग दिखेंगे. 

मंगल ग्रह पर होगा जीवन

वैज्ञानिक लगातार मंगल ग्रह पर जीवन तलाशने के प्रयास में जुटे हुए हैं. माना जा रहा है कि आने वाले समय में मंगल ग्रह तक भी इंसान पहुंच चुके होंगे. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि मंगल ग्रह पर जो बच्चे पैदा होंगे, वो कैसे दिखेंगे. आज हम आपको उसके बारे में बताएंगे.

 मंगलग्रह पर पैदा होने वाले बच्चे दिखेंगे अलग

बता दें कि मंगल ग्रह पर पैदा होने वाले बच्चे पृथ्वी पर पैदा होने वाले बच्चों से अलग दिखेंगे. इतना ही नहीं वो पृथ्वी के बच्चों से अलग व्यवहार भी करेंगे. दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क हो या जेफ बेजोस है, ये पृथ्वी से लेकर स्पेस तक प्रजाति के भविष्य को लेकर बात करना पसंद करते हैं और इस दिशा में काम भी करते हैं. मंगलग्रह तक इंसानों को पहुंचाने के दिशा में वैज्ञानिक काम भी कर रहे हैं. 

मंगलग्रह पर जीवन मुमकिन?

वैज्ञानिकों के मुताबिक सौरमंडल में मंगल ग्रह पृथ्वी जैसा ग्रह है. इसलिए वैज्ञानिक भी सबसे पहले मंगलग्रह पर ही जीवन और जीवों को बसाने का लक्ष्य रखा है. बता दें कि पृथ्वी की तरह मंगलग्रह पर भी ध्रुवीय बर्फ की दो टोपियाँ हैं. इसका उत्तरी ध्रुव बर्फ के पानी की एक चादर से बना है, जो 1.8 मील मोटी है. वहीं विपरीत ध्रुव पर बर्फ की चादर और भी मोटी है और ज़्यादातर कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ से बनी है.

पृथ्वी से छोटा है मंगल ग्रह

बता दें कि मंगल ग्रह पृथ्वी से छोटा है, जिसका व्यास लगभग 4,200 मील है. वहीं यहां की हवा में मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड गैस शामिल है. इसके अलावा मंगल ग्रह पर वायु दाब यहाँ समुद्र तल के दबाव का एक प्रतिशत से भी कम है. इसके अलावा मंगल ग्रह पर तापमान नियमित रूप से -195 डिग्री फ़ारेनहाइट (-125 डिग्री सेल्सियस) तक पहुँच जाता है.

मंगलग्रह पर पैदा होंगे अलग बच्चे

मंगलग्रह का भौगौलिक स्थिति पृथ्वी से अलग है. राइस यूनिवर्सिटी के इवोलोमेशनरी बायोलॉजी के प्रोफेसर स्कॉट सोलोमन के मुताबिक ‘मंगलग्रह पर जीवन सिर्फ़ कुछ पीढ़ियों के भीतर हो सकता है”. सोलोमन ने कहा कि "विकास तेज़ या धीमा होता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि किसी खास उत्परिवर्तन का कितना फ़ायदा होता है।" "अगर मंगल ग्रह पर रहने वाले लोगों में उत्परिवर्तन होता है, और यह उन्हें 50 प्रतिशत जीवित रहने का फ़ायदा देता है, तो यह बहुत बड़ा फ़ायदा है है न? उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि वे व्यक्ति उन जीनों को बहुत ज़्यादा दर से आगे बढ़ाएँगे, जितना कि वे अन्यथा नहीं कर सकते हैं." 

प्रोफेसर के मुताबिक मंगल ग्रह के निवासियों में कई लक्षण विकसित होंगे. जैसे मंगल के कमज़ोर गुरुत्वाकर्षण के कारण घनी और अधिक भंगुर हड्डियाँ, जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का सिर्फ़ एक तिहाई है. वहीं निकट-दृष्टि, क्योंकि लोगों को पृथ्वी पर जितना दूर तक देखना पड़ता है, उतना दूर तक नहीं देखना पड़ेगा. वहीं विकिरण के उच्च स्तर की प्रतिक्रिया में त्वचा का रंग बदल जाता है. दरअसल पृथ्वी पर मानव त्वचा में मेलेनिन नामक एक वर्णक होता है, जो हमें पराबैंगनी किरणों से बचाता है. जिन लोगों की त्वचा में अधिक मेलेनिन होता है, उनकी त्वचा का रंग गहरा होता है.

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