US Bagram Airbase: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बात की घोषणा की है कि अमेरिका अफगानिस्तान में बगराम एयर बेस पर वापस से अपना नियंत्रण पाना चाहता है. अमेरिका ने तालिबान को चेतावनी भी दी है कि वह इसे अमेरिकी सेना को सौंप दें नहीं तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान के बाद दुनिया भर में चर्चा शुरू हो गई है. अगर अमेरिका एयर बेस पर दोबारा से नियंत्रण पाने में सफल हो जाता है तो इसका असर सिर्फ अफगानिस्तान तक ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र पर पड़ेगा. आइए जानते हैं कैसे.

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बगराम क्यों है इतना जरूरी? 

यह एयरबेस कोई मामूली सैन्य सुविधा नहीं है. दरअसल यह अफगानिस्तान का सबसे बड़ा और रणनीतिक रूप से काफी अहम बेस है. यह चीन के शिनजियांग प्रांत के पास और रूस और ईरान की निगरानी क्षेत्र में बना है. यह इलाका दुनिया के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है. 

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चीन और उसके परमाणु संयंत्रों पर नजर 

अगर अमेरिका बगराम को हासिल कर लेता है तो वह शिनजियांग में चीन के परमाणु हथियारों पर कड़ी नजर रख पाएगा. अमेरिका के लिए यह बीजिंग की बढ़ती सैन्य और तकनीकी शक्ति का मुकाबला करने का एक सबसे बेहतरीन मौका है.

रूस पर नजर 

इस बेस की लोकेशन की मदद से अमेरिका सेंट्रल एशिया और यूरेशिया में रूसी सैन्य गतिविधियों पर भी नजर रख पाएगा. इसी के साथ आपको बता दें कि बगराम कभी अलकायदा और ISIS-K के खिलाफ अमेरिका के आतंकवाद विरोधी अभियानों का एक केंद्र था. इस बेस को वापस पाने से अमेरिका को हाई लेवल इंटेलिजेंस और ड्रोन ऑपरेशंस को फिर से शुरू करने की ताकत मिल जाएगी. इसके बाद आतंकवादी समूहों का क्षेत्र में फिर से ठिकाना बनाने का खतरा कम होगा.

पाकिस्तान पर प्रभाव 

पाकिस्तान के लिए यह एक बुरे सपने जैसा हो सकता है. बगराम पर अमेरिका की उपस्थिति से सीमा पर गतिविधियों और पाकिस्तान से शुरू हो रहे आतंकवादी नेटवर्क पर भी कड़ी निगरानी रखी जा सकेगी. इसी के साथ अगर अमेरिका बगराम को वापस हासिल करता है तो भारत को बड़े फायदे हो सकते हैं. अमेरिका के द्वारा आतंकवादी नेटवर्क और तालिबान की गतिविधियों पर निगरानी से भारत आतंकवाद विरोधी मिशन पर और अच्छे से मिलकर काम कर सकता है.

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