राजनीति में कुछ सवाल वक्त के साथ फीके नहीं पड़ते, बल्कि हर चुनाव, हर भाषण में दोबारा जिंदा हो जाते हैं. ऐसा ही एक सवाल फिर चर्चा में है कि क्या सरदार वल्लभभाई पटेल ने वाकई RSS पर बैन लगाया था? दरअसल बीते दिनों कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरदार पटेल की जयंती पर कहा कि RSS पर बैन लगना चाहिए, सरदार पटेल ने भी इस पर बैन लगाया था. उनकी इस बात को लेकर सियासत का पारा एकदम चढ़ गया है और कांग्रेस व बीजेपी में ठन गई है. इसी क्रम में चलिए जान लेते हैं कि क्या वाकई में सरदार पटेल ने RSS पर बैन लगाया था.

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कितना पुराना है यह विवाद

असल में, यह विवाद नया नहीं है. इसकी जड़ें 1948 में हैं वो साल, जब देश ने अपने इतिहास की सबसे दर्दनाक घटना देखी, महात्मा गांधी की हत्या. 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने बिड़ला भवन में गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस घटना के बाद देश सदमे में था, और तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल ने स्थिति को संभालने की जिम्मेदारी उठाई.

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कब RSS को किया गया बैन

4 फरवरी 1948 को भारत सरकार के गृह विभाग ने एक आधिकारिक आदेश जारी किया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया. सरकार की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि ‘देश में सक्रिय नफरत और हिंसा की ताकतें भारत की आजादी को खतरे में डाल रही हैं, इसलिए सरकार ने RSS को प्रतिबंधित करने का फैसला किया है.’

बैन लगाने पर क्या बोले थे सरदार पटेल

यह प्रतिबंध लगभग 17 महीनों तक चला, फरवरी 1948 से लेकर जुलाई 1949 तक. इस दौरान RSS के नेताओं ने लगातार प्रतिबंध हटाने की कोशिश की, लेकिन पटेल सख्त रुख पर कायम रहे. उन्होंने हिंदू महासभा के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी को चिट्ठी लिखी थी जिसमें उन्होंने कहा- ‘RSS की गतिविधियों ने राज्य और सरकार के अस्तित्व पर खतरा पैदा किया है. उनकी सोच और भाषण सांप्रदायिक जहर से भरे हैं.’ पटेल ने RSS प्रमुख एम.एस. गोलवलकर (गुरुजी) को भी दो बार पत्र लिखे. सितंबर 1948 में उन्होंने लिखा था- ‘हिंदू समाज को संगठित करना एक बात है, लेकिन निर्दोषों के खिलाफ हिंसा करना दूसरी बात. गांधी जी का बलिदान इसी सांप्रदायिक जहर का परिणाम था.’

कब हटा प्रतिबंध

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती है. बाद में गोलवलकर और पटेल की मुलाकातें हुईं. उन्होंने RSS पर से बैन हटाने के लिए कहा. इस पर सरदार पटेल ने साफ शर्तें रखीं. उन्होंने कहा, ‘RSS को अपना लिखित संविधान बनाना होगा, लोकतांत्रिक ढंग से काम करना होगा, और राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहना होगा.’ जब गोलवलकर ने ये शर्तें मान लीं और एक लिखित आश्वासन दिया, तब 11 जुलाई 1949 को प्रतिबंध हटाया गया था.

छिड़ी बीजेपी और कांग्रेस की जंग

यानी सच यह है कि सरदार पटेल ने RSS पर बैन लगाया था, लेकिन यह स्थायी नहीं था. यह तब हटाया गया जब RSS ने खुद को एक सांस्कृतिक संगठन के रूप में परिभाषित किया और लोकतांत्रिक ढांचे में काम करने का वादा किया. आज, इस पुराने फैसले को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में फिर जंग छिड़ गई है. कांग्रेस पटेल को अपनी विरासत बताती है, तो बीजेपी उन्हें ‘आयरन मैन ऑफ इंडिया’ कहती है. 

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