आज के वक्त अधिकांश लोगों के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा मौजूद है. लेकिन कई बार कुछ लोग इसका गलत इस्तेमाल भी करते हैं. आपने कई बार खबरों में सुना होगा कि स्कूल,एयरपोर्ट समेत कई जगहों को बम से उड़ाने की धमकी मिली है. लेकिन सुरक्षाबलों ने जब इन जगहों की जांच पड़ताल किया तो कुछ नहीं मिला. इसका मतलब है कि ये मैसेज बिल्कुल फर्जी मैसेज थे. लेकिन अब सवाल ये है कि इस तरह के फर्जी मैसेज भेजकर सामाजिक माहौल खराब करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है? आज हम आपको बताएंगे कि इसके लिए सजा का प्रावधान क्या है. 


फर्जी धमकी


कई बार कॉल,मैसेज,मेल के जरिए अलग-अलग जगहों से फर्जी धमकियां अलग-अलग विभागों को मिलती है. लेकिन हर बार सुरक्षाबल एहतियातन उन जगहों की गहन जांच करती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा करने वालों के खिलाफ किन धाराओं में केस दर्ज हो सकता है. जानकारी के मुताबिक धमकी देने वालो को 10 साल तक की सजा हो सकती है.


UAPA के तहत भी कार्रवाई 


वहीं सुप्रीम कोर्ट के अन्य एडवोकेट ने बताया कि बम की धमकी देने पर 10 साल तक सजा तो हो ही सकती है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति ऐसा जानबूझकर करता है तो उसके खिलाफ कई अन्य कार्रवाई भी संभव है. इतना ही नहीं उस शख्स के खिलाफ जांच एजेंसियां अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत भी कार्रवाई कर सकती हैं.


बम की धमकी कोई मजाक नहीं


बता दें कि बम की धमकी देना कोई मजाक नहीं है. क्योंकि ऐसी घटना से माहौल खराब होता है. इतना ही नहीं कई बार अफरातफरी का माहौल बन जाता है, जिससे कई अन्य घटनाएं भी हो सकती हैं. ऐसी घटनाओं को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा जाता है. हालांकि उस अपराधी को क्या सजा मिलेगी, इसका अंतिम फैसला अदालत करती है.


कौनसी धाराओं में दर्ज होगी एफआईआर


इन मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 505 (2) यानी जनता के बीच डर फैलाने, धारा 507 यानी गुमनाम संचार माध्यम से आपराधिक धमकी देने और 120 (बी) यानी आपराधिक साजिश रचने की धारा में मुकदमा दर्ज किया जाता है. इन धाराओं में दोषी पाए जाने पर कठोर सजा का प्रावधान है. वहीं आईपीसी की धारा 505 (2) एक गैर जमानती संज्ञेय अपराध है. इसके तहत तीन से पांच साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. धारा 507 के तहत यानी गुमनाम संचार माध्यम से नाम छिपाकर आपराधिक धमकी देने के मामले में दो साल तक की कैद की सजा हो सकती है. यह सजा किसी और धारा में मिली सजा के अतिरिक्त होती है.


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