जब भी किसी को किसी अपराध के मामले में पकड़ा जाता है तो दो तरह की कस्टडी लगती है एक होती है पुलिस कस्टडी और दूसरी होती है ज्युडिशियल कस्टडी. ऐसे मामले अक्सर सामने आते हैं जब किसी आरोपी को न्यायिक हिरासत दी जाती है तो वहीं किसी दूसरे को पुलिस हिरासत में रखा जाता है. कहीं गिरफ्तारी होती है तो कहीं हिरासत. अगर आप भी ऐसा सोचते हैं कि दोनों एक ही हैं तो चलिए आज हम आपको दोनों मे अंतर बता देते हैं. 

कस्टडी क्या है

कस्टडी का मतलब होता है हिरासत यानि कि सुरक्षात्मक देखभाल के लिए किसी को भी पकड़ना. लेकिन हिरासत और गिरफ्तारी दो अलग चीजें हैं. हर गिरफ्तारी में हिरासत तो होती है, लेकिन हर हिरासत में गिरफ्तारी नहीं होती है. किसी को गिरफ्तार तब किया जाता है जब वह अपराध करने का दोषी हो या फिर उस पर अपराध करने की शंका हो. कस्टडी का मतलब होता है उस शख्स को अस्थाई तौर पर जेल में रखना.

पुलिस कस्टडी क्या है

पुलिस कस्टडी के दौरान आरोपी से अपराध को लेकर पूछताछ या फिर जांच की जाती है. हिरासत के दौरान पुलिस आरोपी को घटनास्थल पर लेकर जाती है और जांच में मिलने वाले सबूत इकट्ठे करती है. गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने का नियम है. इसके बाद यह फैसला मजिस्ट्रेट का होता है कि आगे की जांच के लिए पूछताछ की जरूरत है या नहीं. उस वक्त मजिस्ट्रेट आरोपी को 15 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में रखने के लिए आदेश दे सकते हैं. गंभीरता के मामले में इसे 30 दिन किया जा सकता है. मजिस्ट्रेट इसको ज्यूडिशियल कस्टडी में बदलने का आदेश भी दे सकते हैं. 

ज्युडिशियल कस्टडी क्या है

जब किसी शख्स को मजिस्ट्रेट द्वारा हिरासत में रखा जाता है, तब इसे ज्युडिशियल कस्टडी कहा जाता है. मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही आरोपी को एक तय समय के लिए जेल में रखा जाता है. तब वह आरोपी मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी होता है. उसे जनता की नजरों से बचाकर रखा जाता है, ताकि उसे किसी तरह के उत्पीड़न से बचाया जा सके. अगर कोई शख्स न्यायिक हिरासत में है तो पुलिस को 60 दिन के अंदर आरोप पत्र दाखिल करना होता है. 

कस्टडी और ज्युडिशियल कस्टडी में अंतर

  • पुलिस कस्टडी में आरोपी को पुलिस थाने में रखती है, जबकि न्यायिक हिरासत में उसे जेल में रखा जाता है. 
  • पुलिस कस्टडी का टाइम 24 घंटे होता है और न्यायिक कस्टडी का कोई तय समय नहीं होता है. इसके लिए कोर्ट समय तय करती है.
  • पुलिस कस्टडी में आरोपी को 24 घंटे में मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है, वहीं न्यायिक हिरासत में आरोपी को तब तक जेल में रखा जाता है, जब तक उसके खिलाफ कोर्ट में केस चल रहा होता है, या फिर अदालत उसे जमानत नहीं दे देती है.
  • पुलिस कस्टडी में पुलिस आरोपी के साथ मार-पीट भी कर सकती है, लेकिन अगर आरोपी सीधे न्यायालय में हाजिर हो जाता है तो वह मारपीट से बच जाता है और अगर पुलिस को पूछताछ करनी हो तो कोर्ट से आज्ञा लेनी होती है. 
  • पुलिस कस्टडी में हत्या, लूटपाट, चोरी इत्यादि के लिए रखा जाता है, वहीं न्यायिक हिरासत आमतौर पर भ्रष्टाचार, टैक्स चोरी जैसे मामलों के लिए होती है. 

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