क्या है ग्रेटर अफगानिस्तान और ग्रेटर बांग्लादेश का कॉन्सेप्ट, भारत और पाकिस्तान के कौन से हिस्से पर दावा कर रहे ये देश?
Greater Afghanistan And Greater Bangladesh: ग्रेटर अफगानिस्तान और ग्रेटर बांग्लादेश ये सिर्फ विचार-धारा हैं या सवाल है कि ये भविष्य में क्षेत्रीय दावे की नींव बन सकती हैं. आइए समझते हैं.

जब किसी देश के नक्शे में अचानक पड़ोसी राज्यों के हिस्से दिखने लगें, तो यह सिर्फ जियो-पॉलिटिक्स नहीं, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक ताने-बाने का सवाल बन जाता है. दक्षिण एशिया में आज दो ऐसे विचार सामने आ रहे हैं, एक अफगानिस्तान की ओर से ‘ग्रेटर अफगानिस्तान’ की अवधारणा, दूसरे बांग्लादेश के आसपास ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का खाका. आइए समझ लेते हैं कि ये दोनों क्या हैं.
ग्रेटर अफगानिस्तान
ग्रेटर अफगानिस्तान का विचार मुख्य रूप से पैश्तून आबादी और उनके ऐतिहासिक भू-भाग से जुड़ा है, जो आज के Durand Line (पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा) के दोनों ओर फैला हुआ है. इस विचार के तहत यह माना जाता है कि अफगानिस्तान को सिर्फ अपने वर्तमान सीमाओं तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उन पैश्तून-बहुल इलाकों को भी अपनी सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभुसत्ता में लेना चाहिए जो आज पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा और आसपास के हिस्सों में हैं.
हालाँकि इस विचार को वर्तमान में किसी देश द्वारा आधिकारिक नीति के रूप में अपनाया नहीं गया है. लेकिन हाल ही में Taliban ने एक नक्शा जारी किया जिसमें पाकिस्तान के कुछ हिस्से शामिल दिखाए गए. इसका सीधा असर पाकिस्तान की सीमा-सुरक्षा, अफगानिस्तान-पाकिस्तान संबंध और भारत-पाकिस्तान-अफगानिस्तान त्रिकोणीय सन्दर्भ में रणनीति पर है.
तालिबान शासन ने स्पष्ट रूप से ड्यूरंड लाइन को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है. यह रेखा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच 2640 किलोमीटर लंबी सीमा तय करती है. पाकिस्तान इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में मानता है, जबकि अफगानिस्तान का कहना है कि यह केवल ब्रिटिश इंडिया के समय थोपे गए फैसले का परिणाम है, जिसने पश्तून समुदाय को दो हिस्सों में विभाजित कर दिया.
ग्रेटर बांग्लादेश क्या है
वहीं दूसरी ओर ग्रेटर बांग्लादेश का विचार है, जिसमें बांग्लादेश का विस्तार भारत के पूर्वोत्तर राज्यों, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओड़िसा सहित म्यांमार के आराकान राज्य तक दिखाया गया है. इस नक्शे पर भारत ने तीव्र प्रतिक्रिया दी है. S. Jaishankar ने संसद में कहा था कि भारत ने इस पर ध्यान दिया है कि ढाका-स्थित एक समूह Saltanat‑e‑Bangla, जो तुर्की-एनजीओ Turkish Youth Federation से समर्थित बताया जा रहा है, ने भारत की क्षेत्रीय सीमाओं को दिखाता हुआ नक्शा जारी किया.
बांग्लादेश ने इसे सिर्फ एक ऐतिहासिक प्रदर्शनी और बंगाल सल्तनत के संदर्भ में बताया है, जिसमें कोई वर्तमान भू-दावा शामिल नहीं था. भारत-बांग्लादेश और भारत-पाकिस्तान संबंधों में यह एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है. पूर्वोत्तर में ‘चिकन नेक’ कॉरिडोर को लेकर भी चेतावनियां दी जा चुकी हैं.
भारत-पाकिस्तान पर प्रभाव
इन अवधारणाओं से क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रश्न उठते हैं, क्योंकि सीमाएं सिर्फ भू-भाग नहीं बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक सीमाएं भी होती हैं. अगर ये विचार व्यवहारिक बनते हैं तो भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश त्रिकोण में सीमावर्ती राज्यों, जनसंख्या-मापदंडों तथा जातीय समीकरणों को नया रूप मिल सकता है.
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Source: IOCL























