Sperm Bank Technology: बदलती जीवनशैली और मेडिकल साइंस की प्रगति ने इंसानी जीवन को नई दिशा दी है. आज ऐसी तकनीकें मौजूद हैं, जिनकी मदद से परिवार बनाने का सपना अब मुश्किल परिस्थितियों में भी पूरा किया जा सकता है. इनमें से एक है स्पर्म बैंक टेक्नोलॉजी, जो पुरुषों के शुक्राणुओं को सुरक्षित कर भविष्य में संतान प्राप्ति की संभावना को बनाए रखती है. यह तकनीक उन लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जो कपल प्रजनन संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. चलिए जानें कि यह कैसे काम करती है.

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कैसे काम करती है तकनीक?

स्पर्म बैंक टेक्नोलॉजी का आधार है क्रायोप्रिजर्वेशन. इसमें पुरुष द्वारा प्राप्त किए गए शुक्राणुओं को वैज्ञानिक तरीके से इकट्ठा कर बेहद कम तापमान पर जमा दिया जाता है. नमूना पहले लैब में जांचा जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शुक्राणुओं की संख्या और उसकी क्वालिटी बच्चे पैदा करने के लिए उपयुक्त है. इसके बाद इन्हें छोटे-छोटे वायल्स में पैक करके -196°C तक के तरल नाइट्रोजन टैंकों में लंबे समय तक सुरक्षित रखा जाता है.

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कब और क्यों है जरूरी?

यह उन लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जो कि बच्चे तो चाहते हैं, लेकिन किसी वजह से वे खुद बच्चे को जन्म नहीं दे सकते हैं. जैसे कि कैंसर मरीजों में कीमोथेरेपी और रेडिएशन जैसी प्रक्रियाएं अक्सर प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती हैं. ऐसे में मरीज पहले से स्पर्म बैंक का सहारा लेकर अपना स्पर्म सुरक्षित कर सकते हैं.

अगर कोई पुरुष संतान पैदा करने में सक्षम नहीं है, तो दाता शुक्राणुओं की मदद से IVF या IUI जैसी तकनीकों द्वारा गर्भधारण कराया जा सकता है. इसके अलावा जो लोग अभी परिवार शुरू नहीं करना चाहते लेकिन आगे चलकर पितृत्व का विकल्प खुला रखना चाहते हैं, उनके लिए यह तकनीक बेस्ट है.

क्या है उपयोग की प्रक्रिया

कलेक्ट किए गए शुक्राणुओं को जरूरत पड़ने पर पिघलाकर IVF, IUI या ICI जैसी तकनीकों में इस्तेमाल किया जाता है. मेडिकल टीम इसे महिला साथी के अंडाणु के साथ मिलाकर फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया पूरी करती है. इस तरह उन लोगों को भी बच्चे का सुख मिलता है, जिनके लिए यह स्वाभाविक तरीके से संभव नहीं होता.

क्या हैं इसके फायदे?

यह भविष्य में प्रजनन क्षमता बनाए रखने का भरोसेमंद साधन है. इसे कोई भी आसानी से करा सकता है. इस दौरान एक बार जमा किया गया स्पर्म कई सालों तक सुरक्षित रहता है. स्पर्म बैंक सख्त मेडिकल टेस्टिंग और क्वालिटी कंट्रोल प्रक्रिया से गुजरते हैं, जिससे किसी भी प्रकार के संक्रमण या बीमारी का खतरा नहीं रहता है. 

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