उत्तर कोरिया ने मध्यम दूरी की मिसाइलों के लिए ठोस ईंधन यानी सॉलिड फ्यूल आधारित इंजन का सफल परिक्षण कर लिया है. बुधवार को उत्तर कोरिया नेे ये दावा किया है. दरअसल किम जोंग उन प्रतिस्पर्धी देशों से मुकाबला करने के लिए लगातार परमाणु क्षमता वाले हथियार विकसित कर रहा है. उत्तर कोरिया की आधिकारिक न्यूज एजेंसी की ओर से येे कहा गया है कि पहले और दूसरे चरण के इंजनों का वैज्ञानिकों ने सफल परिक्षण कर लिया है. हालांकि न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट ये साफ नहीं हो पाया है कि नई मिसाइल प्रणाली कब तक पूरी हो जाएगी. इस तरह की मिसाइलों को लॉन्च करने से पहले फ्यूल भरने की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि इसमें ईंधन को अधिक समय तक भरकर नहीं रखा जा सकता.


क्या है सॉलिड फ्यूल टेक्नोलॉजी?
दरअसल ठोस ईंधन की तकनीक में ठोस प्रोपेलैंट यानी ठोस प्रणोदकों में ईंधन और ऑक्सीकारक का मिश्रण होता है. जैसा कि एल्यूमीनियम जैसे धातु के पाउडर अक्सर ईंधन की तरह काम करते हैं और एल्यूमीनियम परकोलेट जो परक्लोरिक एसिड और अमोनिया का नमक है सबसे ज्यादा उपयोगी ऑक्सीकारक होता है. ऐसे में ईंधन और ऑक्सीकारक को आपस में मिलाया जाता है, जिससे रबड़ जैसा पदार्थ बनता है और फिर उसे धातु के आवरण में रख दिया जाता है. ठोस ईंधन की तकनीक में ठोस प्रणोदकों (प्रोपेलैंट) में ईंधन और ऑक्सीकारक का मिश्रण होता है. 


क्या होता हैै ठोस ईंधन
ठोस ईंधन पर केंद्रित मिसाइलों को लॉन्च करना ज्यादा आसान होता है. साथ ही इसे एक से दूसरी जगह ले जाने में भी आसानी होती है. इन मिसाइलों को लॉन्च करने से ठीक पहले इनमें ईंधन भरनेे की जरूरत नहीं होती यानी इन्हें तुरंत लॉन्च किया जा सकता है.                                                              


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