Pre-Delivery Inspection Of Car: हर कोई अपनी खुद की कार खरीदकर उसमें सफर करने का सपना रखता है. लेकिन, सोचिए कितना जोर पड़ेगा अगर आप अपनी मेहनत की कमाई के लाखों रुपये खर्च करके एक कार खरीदें और वो नई कार आपको परेशान कर दे. दरअसल, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में एक शख्स ने कार के बार-बार खराब होने से परेशान होकर, उसे गधे से खिंचवाकर शोरूम पर खड़ी करवा दी. ऐसे में आपके साथ कभी ऐसी स्थिति न बने, इसके लिए आपको कार खरीदते समय कुछ बातों की जांच जरूर करनी चाहिए. आइए जानते हैं आपको किन बातों का ख्याल रखना है.


PDI है जरूरी


नई कार खरीदते समय कार की डिलीवरी लेने से पहले प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन (PDI) जरूरी होता है. यह एक प्रोसेस है, जिसमें डिलीवरी से पहले कार के इंस्पेक्शन की सुविधा मिलती है. जिसमें कार के इंटीरियर, एक्सटीरियर और इंजन से लेकर बाकी सभी फीचर्स को भी चेक किया जाता है. PDI करने के दो तरीके हैं. डिलीवरी से पहले डीलरशिप खुद भी कार की PDI करता है. जिसके बाद कार पर PDI का बेज लगा दिया जाता है. कार लेने से पहले कस्टमर भी कार का प्री डिलीवर इंस्पेक्शन कर सकता है और अपने स्तर पर चीजों की जांच कर सकता है.


क्यों जरूरी है प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन?


PDI करने से कार में किसी भी तरह की दिक्कत होने पर उसका उसका पता चल सकता है. दरअसल, डीलर को पहले पता होता है कि किसी कार में क्या प्रोब्लम है और कस्टमर से उसे किस तरह छुपाना है. इसलिए गाड़ी आपके नाम पर रजिस्टर होने से पहले ही PDI करें. PDI हमेशा अच्छी रोशनी वाली जगह पर करें, खासतौर पर सूरज की रोशनी में ही PDI करें.


कैसे करनी है PDI?


1. एक चेक लिस्ट में कार में चेक किए जाने वाले एक-एक पॉइंट जैसे- इंजन, एक्सटीरियर, इंटीरियर, टायर, फीचर्स, कार का पेंट आदि को नोट करते रहें.


2. कार एक्सटीरियर के चारों ओर घूमकर चेक करें. गौर से देखें कि इसमें कहीं कोई स्क्रेच या डेंट तो नहीं है. डीलर छोटे-मोटे स्क्रैच को छुपाने के लिए कार पर पॉलिश कर देते हैं. जो 1 - 2 कार को धोने लार दिखने लगते हैं. अगर कहीं से भी कार को री-पेंट किया गया है तो गौर से देखने पर आपको कलर डिफ्रेंस दिख जाएगा. गाड़ी के टायर, सभी कोने और बाकी सभी एक्सटीरियर अच्छे से चेक करें.


3. अब बारी है कार के इंटीरियर की. डैशबोर्ड, अपहोल्स्ट्री, सीट और ग्लोवबॉक्स को अच्छे से चेक करें, फ्लोर की मैट को हटाकर भी देखें. सभी स्विच की अच्छे से जांच कर लें. एयर कंडीशनर वगैरह चला कर उसकी कूलिंग भी जांच लें.


4. अब बारी है इंजन, ओडोमीटर और फ्यूल की. कार का बोनट खोल कर इन सबकी अच्छे से जांच कर लें. बेहतर होगा अगर इसके लिए अपने साथ आप किसी मैकेनिक को ले जाएं. इंजन को स्टार्ट करके थोड़ी देर चालू रहने दें. लीकेज वगैरह की भी जांच करें. नई कार की ओडोमीटर रीडिंग 30 से 50 किमी होनी चाहिए. अगर रीडिंग ज्यादा है, तो इस बारे में डीलर से बात करें. गौरतलब है कि डीलर ग्राहकों को 5 लीटर कॉम्प्लिमेंट्री फ्यूल भी देते हैं. यह भी चेक करें.


5. डीलर रिप्रेजेंटेटिव के साथ एक बार कार की टेस्ट ड्राइव जरूर लें और स्टीयरिंग, गियरशिफ्टर, ब्रेक और सस्पेंशन आदि को चेक करें. सबसे जरूरी बात, सब चेक मार लेने के बाद ही उस कार को अपने नाम पर रजिस्टर्ड कराएं. रजिस्ट्रेशन होने के बाद कार को वापस सर्विस सेंटर के अंदर न जाने दें. अगर भेजना पड़ भी रहा है, तो किसी को कार के साथ भेजें. कोशिश करें की पूरी PDI की एक वीडियो बना लें.


डीलर PDI से रोक तो न लें वो कार


अगर डीलर आपको PDI करने से मना करता है, तो समझ जाइए उस कार में कुछ गड़बड़ है. ऐसी कार लेने से आप साफ इन्कार कर दें. PDI में कोई बड़ी प्रॉब्लम दिखने पर ऐसी कार न लेने में ही समझदारी है. क्योंकि, वह कार भविष्य में आपकी जेब हल्की कर सकती है.


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