China's Five Finger Policy: अभी हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई. झड़प में कई चीनी सैनिकों की हड्डियां टूटीं. दरअसल, लगभग 600 चीनी सैनिक तवांग के यंगस्टे में भारतीय पोस्ट को हटाने के लिए घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे. चीन हमेशा अपने पड़ोसी देशों पर कब्जा करने की कोशिश करता रहा है. चीनी नेता माओ के समय से ही ऐसा होता आ रहा है. माओ खुलेआम कहते थे कि उन्हें वो दाहिना हाथ हासिल करना है जो कभी उनका था. बस इसी सोच से 5 फिंगर पॉलिसी की शुरुआत हुई.
चीन की यही नीति इस और इशारा करती है कि ड्रैगन के मंसूबे ठीक नहीं रहे हैं. ऐसे में, आइए जानते हैं फाइव फिंगर पॉलिसी क्या है? कब इसकी शुरुआत हुई और चीन ने कब-कब दूसरे देशों पर कब्जा करने की कोशिशें की हैं…
क्या है 5 फिंगर पॉलिसी?1940 के दशक में लाल क्रांति के बाद चीन में माओ सबसे बड़े नेता के तौर पर उभरकर आए. माओ का मानना था कि तिब्बत और उससे जुड़े इलाके वृहद चीनी साम्राज्य का हिस्सा थे और उन्हें इसे किसी भी कीमत पर हासिल करना है. चीन की सीमा दुनिया के 14 देशों के साथ लगती है. इनमें से पांच देशों को चीन अपना हिस्सा बताता है, जिनमें लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, भूटान और नेपाल शामिल हैं. इन्ही पांच क्षेत्रों को माओ ने अपने दाएं हाथ की पांच उंगलियां बताया है. इस विवादित चीनी नीति में तिब्बत की अहम भूमिका है और तिब्बत इस 5 फिंगर पॉलिसी की हथेली कहता है. तिब्बत के बाद चीन का मकसद अब नेपाल, भूटान, सिक्किम, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा करना है. अपने इस नापाक मंसूबे में चीन अगर सफल होता है तो हिमालयी क्षेत्र पर इसका पूरा अधिकार हो जाएगा.
कब और कैसे हुई शुरुआत?माओ पावरफुल ने पावरफुल होने साथ-साथ अपनी कब्जे की इस रणनीति को भी पुख्ता किया. 1940 के दौर से कब्जा करने की बात कहने के बाद, चीन ने 1950 के दशक से इन हिस्सों पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया. सबसे पहले चीन ने तिब्बत, पूर्व तुर्किस्तान और इनर मंगोलिया पर कब्जा किया, जिसके परिणामस्वरूप ताइवान द्वीप एक अलग देश के रूप में अस्तित्व में आया और चीन ने इस पर भी अपना हक जताया. इसके बाद चीन ने 1997 में हांगकांग और 1999 में मकाउ पर कब्जा करके इस नीति का दायरा बढ़ाया.अपनी इसी रणनीति के चलते ही चीन हमेशा से अपने पड़ोसी देशों का दुश्मन बना रहा है.
हिमालयी क्षेत्र पर ड्रैगन की नजरतिब्बत की सरकार के प्रमुख लोबसांग सांग्ये ने अप्रैल 2021 में खुलासा करते हुए कहा था कि तिब्बत एक जरिया है, चीन का असली मकसद हिमालयी क्षेत्र में आने वाले और फाइव फिंगर कहे जाने वाले हिस्सों पर कब्जा जमाना है. ऐसा करके चीन भारत को भी अपने पंजे में फंसाना चाहता है. तिब्बत पर कब्जा करने के बाद चीन भारत में आगे बढ़ रहा है. यही वजह है कि चीन, भारत के साथ सीमा विवाद बनाए रखना चाहता है.
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