History Of Bra: अक्सर रूटीन लाइन में हम कई ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, जिनके नाम पीछे एक कहानी होती है. कई शब्द ऐसे होते हैं, जिनकी कोई फुल फॉर्म होती है, जैसे OK. बहुत कम लोग ओके की फुल फॉर्म जानते होंगे. ऐसे ही है एक शब्द ब्रा. शब्द का इस्तेमाल भले ही लोग काफी ज्यादा करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं इसकी भी एक फुलफॉर्म होती है. ऐसे में जानते हैं कि ब्रा की फुल फॉर्म और इसके नाम की कहानी.


बताया जाता है कि ब्रा का इतिहास लगभग 500 साल पुराना है. हालांकि, इतने लंबे सफर में ब्रा ने अपने कई रूप और नाम बदले हैं. आज महिलाएं इसके सबसे मॉडर्न रूप का इस्तेमाल करती हैं. बताया जाता है कि मिस्र की महिलाएं सदियों से ब्रा का इस्तेमाल करती आ रही हैं. प्राचीन काल में मिस्र की स्त्रियां चमड़े की ब्रा पहनती थीं. हालांकि, इसे पहनना बहुत मुश्किल होता था, लेकिन स्तन ढंकने के लिए महिलाओं को इसे पहनना पड़ता था. ग्रीक और युनानी सभ्यता में साधारण ब्रेस्ट बैंड पहने जाने का जिक्र मिलता है.


बात अगर भारत में ब्रा के चलन की करें तो भारत में इसका इतिहास खासा पुराना नहीं है. यहां महिलाएं बहुत पहले से साड़ी पहनती हैं. इसीलिए पहले महिलाएं अपने स्तनों को ढकने के लिए साड़ी का ही इस्तेमाल किया करती थीं. इसके बाद छठी शताब्दी के दौरान हर्षवर्धन काल में चोली का इस्तेमाल शुरू हुआ था. 


कॉर्सेट पहनने का चलन 
बताया जाता है कि 12वीं शताब्दी में यूरोप में ब्रा के तौर पर धातु के बने काॅर्सेट का इस्तेमाल होने लगा था और यह 19वीं शताब्दी तक जारी रहा. इस कॉर्सेट में कई बदलाव हुए. इसके बाद 1890 के आसपास कई देशों की महिलाओं ने कपड़े से बने कॉर्सेट इस्तेमाल करने शुरू कर दिए. ये कॉर्सेट दिखने में जैकेट की तरह होते थे. 


इस अंडरगारमेंट को अच्छे से कसने के लिए इसमें पीछे डोरियां दी जाती थीं. हालांकि, यह कॉर्सेट कामयाब नहीं हो पाया, क्योंकि यह इतना टाइट होता था कि डॉक्टरों ने इसे लेकर चेतावनी दी थी कि इसके कसे होने के कारण जी घबराना, सांस फूलने और पेट में गड़बड़ी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसके बाद महिला समूहों ने इसका जमकर विरोध करना शुरू कर दिया और 1900 के दशक तक इसका इस्तेमाल लगभग बंद ही हो गया. 


कहां से आया ब्रा शब्द?
बीबीसी कल्चर में छपे एक लेख में बताया गया है कि पहली मॉडर्न ब्रा फ्रांस में बनीं थी. ब्रा नाम 'brassiere' शब्द से लिया गया है. यह एक फ्रेंच शब्द है, जिसका अर्थ होता है शरीर का ऊपरी हिस्सा. लाइफ पत्रिका के अनुसार 30 मई 1869 को फ्रांस की हर्मिनी कैडोल ने एक कॉर्सेट को दो टुकड़ों में काटकर अंडरगार्मेंट्स बनाए थे. इस अंडरगार्मेंट को कॉर्सेलेट जॉर्ज नाम दिया गया, जिसका ऊपरी हिस्सा बाद में ब्रा की तरह पहना और बेचा जाने लगा.


1915 से 20 के बीच बाजार में सेमी कप ब्रा का आगमन हुआ. ये ब्रा न केवल स्तनों को सपोर्ट करती थी, बल्कि देखने में भी उन्हें सुडौल बनाती थी. इसके बाद 1940 के दशक में बाजार में नये तरह की ब्रा आई. उस समय की हालीवुड की जानी-मानी अभिनेत्रियों ने उसे पहना और बालीवुड में भी सन 1955 से 70 तक इसका इस्तेमाल हुआ.


स्पोर्ट ब्रा का दिलचस्प चलन ऐसे हुआ शुरू
स्पोर्ट्स ब्रा की शुरुआत 1975 में हुई. हालांकि, स्पोर्ट्स ब्रा को भी लगभग 25 साल तक अंडरगारमेंट की तरह ही इस्तेमाल किया जाता रहा था. 10 जुलाई 1999 को एक अप्रत्याशित घटना हुई, जिसके बाद से स्पोर्ट ब्रा अंडर गारमेंट की श्रेणी से बाहर निकल कर साधारण वस्त्र की श्रेणी में आ गई. फीफा महिला विश्वकप में अमेरिका और चाईना के बीच एक मैच टाई होकर पेनाल्टी शुटआउट में पहुंचा. अमेरिका की महिला खिलाड़ी ने निर्णायक गोल करते हुए अत्यधिक उत्साह में जश्न मनाते हुए अपनी टी-शर्ट उतार फेंकी. इस घटना के बाद से ही महिला खेल के इतिहास में बहुत बड़ा उलटफेर हो गया. बस तभी से महिलाएं खेल के दौरान स्पोर्ट्स ब्रा का इस्तेमाल करने लगीं. 


ब्रा का विरोध  
फैशन मैगजीन ‘Vogue’ ने ब्रा को मशहूर करने में अहम भूमिका निभाई है. Vogue ने 1907 में Brassiere शब्द को बहुत फेमस किया. हालांकि, इसका जमकर विरोध भी हुआ. ब्रा का विरोध करने के साथ साथ ही कई महिलावादी संगठनों ने इसके नुकसान के बारे में भी महिलाओं को आगाह किया. साल 1960 के आसपास भी महिलावादी संगठनों ने ब्रा के खिलाफ आंदोलन शुरू किया गया था. उनका दावा था कि ब्रा, बालों को घुंघराले करने वाले कर्लर, कृत्रिम पलकें पुरुषवादी समाज की प्रभुता और स्त्री के दमन का प्रतीक हैं. उनका कहना कि इसे पहनने से महिलाएं सिर्फ एक सेक्स ऑब्जेक्ट बनकर रह जाती हैं. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इसे पहनने से ब्रेस्ट कैंसर होता है.  


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