Rights Against Blackmailing: कभी-कभी लोगों के सामने कुछ ऐसी मुश्किल सिचुएशन आ पड़ती हैं, जहां उनके लिए यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता है कि वो इस समस्या के खिलाफ कोई कदम उठाएं या अपनी गोपनीयता को बचाने के लिए अपना शोषण होने दें. दरअसल, हम बात कर रहे हैं ब्लैकमेलिंग की. ज्यादातर मामलों में एक ब्लैकमेलर आमतौर पर आपसे पैसे या अपनी किसी नाजायज मांग को पूरा करने के लिए आपको मजबूर करता है और अगर आप एक महिला हैं तो वह आपसे सेक्सुअल फेवर की मांग भी कर सकता है. मांग पूरी ना होने पर वह आपकी पर्सनल या अश्लील फोटो या वीडियो को प्रसारित करने या आपके सम्मान को चोट पहुंचाने के लिए ब्लैकमेल करता है. ऐसे में लोग परेशान हो जाते हैं. उनको समझ नहीं आता कि क्या करें. आइए आज जानते हैं कि अगर कोई आपको ब्लैकमेल करता है तो ऐसी सिचुएशन में आपको क्या करना चाहिए.


उठाएं सख्त कदम


ऐसी सिचुएशन में सबसे पहले आप डरे नहीं. हिम्मत जुटाकर ऐसे ब्लैकमेलेर्स के खिलाफ कदम उठाएं. कई बार, एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नष्ट करने और उन्हें बदनाम करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करता है. भारत में ब्लैकमेलिंग और उत्पीड़न दोनों ही अपराध की श्रेणी में आते हैं. उत्पीड़न बुरे और गलत कामों की वजह से होता है, जबकि ब्लैकमेलिंग किसी व्यक्ति की गोपनीय जानकारी को पब्लिक करने या प्रचारित करने के लिए धमकियां देकर जबरदस्ती काम कराना होता है. भारत के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना काल के पिछले 2 सालों के दौरान ब्लैकमेलिंग के मामले बढे हैं. 


ब्लैकमेलिंग के अंतर्गत आते हैं ये काम



  • किसी व्यक्ति कि कोई सच्ची या झूठी गोपनीय जानकारी को पब्लिक करना या प्रचारित करने की धमकी देना. 

  • कोई ऐसी जानकारी जो व्यक्ति को किसी झूठे आपराधिक केस में फंसा सकती है.

  • शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक नुकसान से संबंधित कोई भी खतरा होना.

  • आमतौर पर अपराधी की मांगों को पूरा करने के लिए किया जाने वाला काम. जैसे पर्सनल प्रॉफिट, पद, धन, संपत्ति, बदला, शक्ति आदि. 


ब्लैकमेलिंग है एक गंभीर अपराध


भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 384 के अनुसार, ब्लैकमेलिंग को एक गंभीर अपराध माना गया है. ब्लैकमेलिंग को आपराधिक धमकी के बराबर माना जा सकता है. आपराधिक धमकी को भारतीय दंड संहिता की धारा 503 के मूल प्रावधानों के तहत अच्छी तरह से परिभाषित किया गया है. वर्तमान में ‘चोरी अधिनियम 1968’ में ब्लैकमेलिंग की परिभाषा बताई गयी हैं. ब्लैकमेलिंग करने वाले व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 384 के तहत भी दंड दिया जा सकता है. यह धारा किसी से जबरदस्ती वसूली करने के लिए दंड प्रदान करती है.


ब्लैकमेलिंग करने का तरीका ऑफलाइन या ऑनलाइन कुछ भी हो सकता है. इसकी शिकायत भी उसी आधार पर दर्ज होती है जिस परिस्थिति या प्रकृति में ब्लैकमेलिंग या उत्पीड़न हुआ है. आप अपनी तरफ से कम्प्लेन फाइल करने और ब्लैकमेलिंग के केस से निपटने के किसी कुशल वकील से सलाह ले सकते हैं. 


यह भी पढ़ें:क्या होती है अमोनिया गैस? यह कितनी नुकसानदायक है और किन-किन चीजों में होती है इस्तेमाल?