बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने सोमवार को एक बड़ा और इतिहास में दर्ज होने वाला फैसला सुनाया. अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा देते हुए कहा कि बीते साल जुलाई और अगस्त के महीनों में देशभर में हुए उग्र विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए उन्होंने अत्यधिक बल के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी. ट्रिब्यूनल के मुताबिक, सुरक्षा बलों द्वारा की गई इस कड़ी कार्रवाई में लगभग 1400 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई, जिसकी सीधी जिम्मेदारी हसीना पर डाली गई है.
आइए जानें कि मानवता के खिलाफ अपराध क्या होते हैं, जिसमें शेख हसीना ही नहीं रूस के राष्ट्रपति पुतिन भी दोषी पाए गए थे.
क्या होते हैं मानवता के खिलाफ अपराध
मानवता के खिलाफ अपराध, यानी ऐसे पाप जो न सिर्फ लोगों को दर्द पहुंचाते हैं, बल्कि पूरी सभ्यता की बुनियाद को हिला देते हैं. अंतरराष्ट्रीय कानून में ये अपराध सबसे गंभीर माने जाते हैं. इनका दायरा इतना बड़ा है कि ये युद्ध की आग में भी हो सकते हैं और शांति के माहौल में भी. किसी पूरी आबादी को निशाना बनाकर की गई हत्या, यातना, जबरन विस्थापन, बलात्कार, दमन, नस्लीय या राजनीतिक आधार पर हिंसा, इन सबको मानवता के खिलाफ अपराध की श्रेणी में रखा जाता है.
शेख हसीना को कोर्ट ने क्यों माना दोषी?
दुनिया के कई देशों ने रोम स्टैट्यूट के जरिए तय किया है कि ऐसे अपराधों पर कार्रवाई करना सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि पूरी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की जिम्मेदारी है. बांग्लादेश में बने विशेष अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने बीते दिन शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी करार दिया है. फैसले में कहा गया कि उनके आदेश के बाद सुरक्षा बलों ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी, ड्रोन और अन्य हथियारों का इस्तेमाल किया, जिससे कई लोगों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए.
अदालत का तर्क था कि यह कार्रवाई अचानक नहीं, बल्कि योजनाबद्ध तरीके से की गई थी, और इसे रोकने की जिम्मेदारी खुद हसीना पर थी. यही वजह है कि उन्हें हिंसा भड़काने और नागरिकों की हत्या के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार माना गया.
पुतिन भी नहीं बच पाए थे
दूसरी तरफ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले से ही वैश्विक दबाव का सामना कर रहे हैं. यूक्रेन युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व में रूसी बलों पर कई गंभीर आरोप लगे, जैसे- कैदियों को यातना देने, नागरिकों को निशाना बनाने, जबरन विस्थापन और हिरासत में मौत जैसी घटनाओं के आरोपों ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा. संयुक्त राष्ट्र की एक जांच टीम ने पाया कि बंदियों पर लगातार और योजनाबद्ध तरीके से अत्याचार किए गए, जिसे सामान्य युद्धक गतिविधि नहीं माना जा सकता है. इसी आधार पर अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने पुतिन के खिलाफ कार्रवाई शुरू की, और कई मामलों में गिरफ्तारी वारंट तक जारी किया गया.
देश की छवि को प्रभावित करते हैं ये अपराध
मानवता के खिलाफ अपराधों की गंभीरता सिर्फ अदालतों तक सीमित नहीं रहती है. ये आरोप किसी देश की अंतरराष्ट्रीय छवि, कूटनीतिक संबंध और राजनीतिक स्थिरता को गहरा झटका देते हैं. पीड़ितों को न्याय दिलाने की कोशिश में अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल लगातार सक्रिय हैं, ताकि यह साबित किया जा सके कि चाहे कोई कितना भी शक्तिशाली हो, ऐसे अपराधों के बाद कानून से ऊपर कोई नहीं रह सकता है.
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