Waqf Amendment Bill: देशभर में इस वक्त वक्फ संशोधन बिल को लेकर चर्चा जोरों पर शुरू है, क्योंकि आज यह बिल लोकसभा में पेश कर दिया गया है. इसको लेकर मुस्लिम समाज के लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. वहीं लोकसभा में कांग्रेस ने इस दौरान जमकर हंगामा किया है. इस बिल को लेकर सरकार जहां इसे मुस्लिमों के हित में बता रही है, तो वहीं विपक्षी दल और मुस्लिमों का कहना है कि यह विधेयक संविधान का उल्लंघन है और धार्मिक आजादी के खिलाफ है. इस बहस के बीच यह जानना जरूरी है कि आखिर वक्फ बोर्ड में कौन-कौन से लोग शामिल होते हैं और वक्फ की तरह अन्य धर्मों में क्या नियम तय किए गए हैं.
वक्फ क्या है?
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर वक्फ क्या है. दरअसल वक्फ एक इस्लामिक प्रथा है, जिसके तरह कोई व्यक्ति या फिर कोई शासक समाज कल्याण के उद्देश्य से दान करता है. इसका प्रबंधन वक्फ बोर्ड करता है. इस्लाम में वक्फ का अर्थ है कोई भी दान जैसे कि संपत्ति को अल्लाह के नाम पर समर्पित कर देना. यह संपत्ति फिर सिर्फ समाज कल्याण के काम आती है इसका कोई भी निजी तौर पर इस्तेमाल नहीं कर सकता है, साथ ही इसे खरीदा और बेचा भी नहीं जा सकता है.
कौन-कौन लोग वक्फ में होते हैं शामिल?
अब यह भी जान लेते हैं कि आखिर वक्फ में कौन-कौन लोग शामिल होते हैं. वक्फ बोर्ड का संचालन राज्य सरकारें करती हैं और वही इनके पदाधिकारियों की नियुक्ति करती है. राज्य वक्फ बोर्ड में एक अध्यक्ष और बाकी अन्य लोग शामिल होते हैं. अध्यक्ष की नियुक्ति राज्य सरकारें करती हैं. इस पद पर आमतौर पर न्यायाधीश, कोई वरिष्ठ मुस्लिम नेता या फिर कोई प्रशासनिक अधिकारी होता है. वक्फ अधिनियम के अनुसार इसमें छह से 13 लोग शामिल होते हैं. अब तक कानून के अनुसार वक्फ बोर्ड में मुस्लिम विधायक या सांसद, इस्लामिक स्कॉलर, मुस्लिम समाजसेवी, मुस्लिम सरकारी अधिकारी, काजी या फिर मुफ्ती जैसे मुख्य लोग शामिल होते हैं.
हिंदू धर्म में दान कैसे होता है?
क्या इस तरह की कोई संस्था या बोर्ड हिंदू, सिख या फिर ईसाई धर्म में भी है? सबसे पहले हिंदू धर्म की बात करें तो इसमें ऐसी कोई संस्था नहीं है, लेकिन भगवान के नाम पर दान तो किया ही जाता है. यह दान लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार कुछ भी कर सकते हैं. अगर कोई मंदिर के नाम पर अपनी कोई संपत्ति का दान करता है तो वैसे तो उसे बेचा नहीं जा सकता है, लेकिन अगर दानकर्ता की कोई शर्त हो या फिर मंदिर के हित में उसे बेचा जाना हो जरूर बेचा जा सकता है. हालांकि मंदिर की संपत्ति बेचने के लिए भी कानूनी प्रावधान तय किए गए हैं.
क्या ईसाई धर्म में भी है वक्फ जैसी कोई व्यवस्था?
ईसाई धर्म में दान को ऑफरिंग कहा जाता है. इस दौरान अगर कोई चाहे तो चर्च के नाम पर जमीन या संपत्ति दान कर सकता है. इसका इस्तेमाल गरीबों के कामकाज या फिर जरूरतमंदों के लिए किया जाता है. अगर कोई चर्च के लिए जमीन दान करता है तो यह जानना बहुत जरूरी है कि क्या इसके लिए उसने कोई शर्त तो नहीं रखी है. अगर वह शख्स कहता है कि यह जमीन हमेशा के लिए चर्च की रहेगी तो चर्च उसे बेच नहीं सकता. लेकिन अगर उस शख्स ने शर्त में यह कहा कि जमीन का इस्तेमाल चर्च किसी भी तौर पर कर सकती है. तब चर्च चाहे तो वह जमीन बेच सकता है.
सिख धर्म में कैसे किया जाता है दान?
सिख धर्म में दान को दसवंध कहा जाता है. इसका मतलब है कि अपनी आय का दसवां हिस्सा समाज कल्याण और जरूरतमंदों के लिए दान करना. सिख धर्म में इसके लिए प्रोत्साहित किया जाता है. सिख धर्म में सेवा भाव को बहुत महत्ल दिया जाता है. सिख धर्म में जिस काम के लिए किसी संपत्ति या जमीन का दान किया गया होता है, उसे उसके इस्तेमाल में लाना होता है. सिख धर्म में उस जमीन को बेचने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं होती है.
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