उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में जेवर थाने की पुलिस पर आरोप है कि उन्होंने मथुरा के रहने वाले बी-टेक के एक छात्र को फर्जी एनकाउंटर में पैर में गोली मारी और बिजली के झटके देकर जमकर टॉर्चर किया. इस मामले में जब पीड़ित ने कोर्ट केस किया तो कोर्ट के आदेश पर जेवर थाने के पूर्व एसएचओ अंजनी कुमार समेत 12 पुलिसकर्मियों पर मामला दर्ज हुआ है. पुलिस पर छात्र के पिता तरुण गौतम से एक लाख रुपये रिश्वत लेने और जान से मारने की धमकी देने का भी आरोप है. 

यह तो सिर्फ एक केस है. ऐसे न जाने कितने फर्जी एनकाउंटर के केस देशभर से सुनने को मिल जाते हैं. इसी क्रम में आज आपको बताते हैं कि आखिर किस राज्य में सबसे ज्यादा फर्जी एनकाउंटर होते हैं और अब तक कितने पुलिसकर्मियों को सजा मिली.

फर्जी एनकाउंटर की रेस में यूपी सबसे आगे

साल 2023 में जारी आंकड़ों की मानें तो यूपी पुलिस ने छह सालों के अंदर 10,000 से ज्यादा एनकाउंटर किए हैं, जिनमें से तमाम तो फर्जी ही हैं. केंद्र सरकार की ओर से जारी हुए आंकड़ों की मानें तो साल 2017 से लेकर 2022 तक देश में कुल 655 फर्जी एनकाउंटर हुए हैं, जिनमें से 117 तो सिर्फ उत्तर प्रदेश में हैं. हालांकि इतने मामलों में कितने पुलिसकर्मियों को अब तक सजा हो चुकी है, फिलहाल इसके आंकड़े तो सामने नहीं आए हैं. 

कितने मामलों में पुलिसकर्मियों को हुई सजा

साल 2006 में एटा में एक फर्जी एनकाउंटर हुआ था, जिस मामले में गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट ने नौ पुलिसकर्मियों को दोषी माना था. इनमें से पांच पुलिसकर्मियों को उम्रकैद हुई थी, तो वहीं चार पुलिसवालों को पांच-पांच साल की सजा मिली थी. साल 2009 में देहरादून में नौकरी के लिए आए एक युवक का फर्जी एनकाउंटर हुआ था. इस मामले में 17 पुलिसवालों को जेल की सजा हुई थी. वहीं 1998 में बिहार के पूर्णिया में भी एक फर्जी एनकाउंटर के मामले में पुलिसकर्मियों को उम्रकैद हुई थी.

हर बार नहीं मिल पाती सजा

हालांकि हर बार फर्जी एनकाउंटर केस में पुलिसवालों को सजा नहीं हो पाती है. क्योंकि कोर्ट में इसको लेकर सबूत पेश करना होता है और कोर्ट सबूत के आधार पर ही सजा तय करती है. लेकिन कई बार सबूत या तो गुम कर दिए जाते हैं या फिर मिटा दिए जाते हैं. इसीलिए हर केस में सजा मिल पाना मुश्किल हो जाता है.

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