सिंगापुर एयरलाइन्स की एक फ्लाइट उस वक्त हादसे का शिकार हो गई जब 21 मई को वो म्यामांर के आसमान में एयर टर्बुलेंस में फंस गई. इस दौरान अचानक लगे झटकों से एक 73 वर्षिय पैसेंजर की मौत हो गई. इस हादसे में 30 लोग घायल हो गए. फ्लाइट टेकऑफ के 10 घंटे बाद म्यांमार के एयरस्पेस में 37 हजार फीट की ऊंचाई पर एयर टर्बुलेंस में फंस गई थी, ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर ये एयर टर्बुलेंस होता क्या है और क्यों इसके चलते कई बार इस तरह के विमान हादसे सुनने में आते हैं. चलिए जानते हैं.


क्या होता है एयर टर्बुलेंस?


आप जब भी इस तरह के विमान हादसों के बारे में सुनते होंगे तब आपके मन में यही सवाल उठता होगा कि आखिर ये एयर टर्बुलेंस होता क्या है? तो बता दें कि जब उड़ान के दौरान विमान के पंखों से हवा अनियंत्रित होकर टकराती है तो प्‍लेन में एयर टर्बुलेंस पैदा होता है. इस टर्बुलेंस के कारण विमान ऊपर नीचे की ओर होने लगता है. जिसके चलते यात्रियों को झटके लगने शुरू हो जाते हैं.


अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये टर्बुलेंस होते कितने प्रकार के हैं? बता दें विमानों को कम से कम सात तरह के टर्बुलेंस का सामना करना पड़ता है. वहीं ज्‍यादातर बार टर्बुलेंस मौसम से जुड़ा होता है. खराब मौसम में बिजली कड़कने और भारी बादल होने से भी विमान में टर्बुलेंस की स्थिति होती है. विशेषज्ञों की मानें तो विमान को क्लियर एयर टर्बुलेंस, थर्मल टर्बुलेंस, टेम्पेरेचर इंवर्जन टर्बुलेंस, मेकनिकल टर्बुलेंस, फ्रंटल टर्बुलेंस, माउंटेन वेब टर्बुलेंस और थंडरस्टॉर्म टर्बुलेंस का सामना करना पड़ सकता है.


तापमान भी है वजह


दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन के चलते तापमान बढ़ने के साथ ही बहुत सारे बदलाव हो रहे हैं. वहीं टर्बुलेंस को लेकर विशेषज्ञों की राय है कि धरती का तापमान बढ़ने के साथ ही विमानों में टर्बुलेंस की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है.


जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स पत्रिका में छपे एक शोधपत्र में ब्रिटेन की रीडिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च का खुलासा किया था, जिसमें साफ हवा में होने वाले टर्बुलेंस के मामले बीते दशकों में ज्‍यादा बढ़े हैं. इस शोध में पाया गया था कि एक नॉर्थ अटलांटिक विमान मार्ग पर 1979 से 2020 के बीच के 41 साल में टर्बुलेंस के 55 प्रतिशत ज्यादा मामले देखने को मिले हैं.                   


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