दुनिया के तमाम देशों के वैज्ञानिकों ने अलग-अलग खोज की है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे वैज्ञानिक के बारे में बताने वाले हैं, जिन्होंने ब्रह्मांड के कई रहस्यों को दुनिया के सामने रखा था. लेकिन उसके बदले उन्हें सजा मिली. इतना ही नहीं उस वैज्ञानिक के मरने के बाद उनकी तीन उंगलियां भी काट दी गई थी. जी हां आपने सही पहचाना आज हम महान वैज्ञानिक गैलीलियो की बात कर रहे हैं. आज हम आपको गैलीलियो के जीवन से जुड़ा कुछ तथ्य बताने वाले हैं. 


कौन थे गैलीलियो


गैलीलियो एक इतालवी भौतिक विज्ञानी और खगोलशास्त्री थे. उनका जन्म 15 फरवरी 1564 के दिन पीसा में हुआ था. जानकारी के मुताबिक गैलीलियो के पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे पर उनकी रुचि गणित में थी. जिसके बाद वो गणित के प्रोफेसर बने थे. बता दें कि अपने जीवन में उन्होंने ब्रह्मांड के कई रहस्यों को दुनिया के सामने रखा था. 


गैलीलियो ने बनाया टेलीस्कोप 


गैलीलियो ने अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने के लिए खुद टेलीस्कोप बनाया था. जिसकी मदद से उन्होंने खगोल विज्ञान की खोज की थी. अपने रिसर्च में उन्होंने पाया था कि चंद्रमा चिकना नहीं है, बल्कि पहाड़ी और गड्ढेदार है. इसके अलावा उन्होंने बृहस्पति की परिक्रमा करने वाले चार चांदों की खोज, शनि का अध्ययन, शुक्र के फेज़ का निरीक्षण करने और सूर्य पर सौर धब्बों का अध्ययन करने के लिए अपने नए टेलीस्कोप का इस्तेमाल किया था. बता दें कि गैलीलियो की खोज ने कॉपरनिकस के सिद्धांत को और बल था. जो कहता है कि पृथ्वी और बाकी सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं. हालांकि यह उस समय की सोच के बिल्कुल उलट था. 


कैथोलिक चर्च का आरोप


बता दें कि उस समय चर्च और धर्मग्रंथों के हिसाब से ये अवधारणा प्रचलित थी कि सूर्य पृथ्वी का चक्कर लगाता है. लेकिन गैलीलियो का बयान और रिसर्च चर्च की बातों से बिल्कुल अलग था. इस कारण इनक्विजिशन (कैथोलिक चर्च की कानूनी संस्था) ने गैलीलियो के खिलाफ लगाए गए आरोपों का जवाब देने के लिए उन्हें रोम बुलाया था. बता दें कि कैथोलिक चर्च को उस समय बहुत शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता था.


विधर्मी का आरोप


1616 की शुरुआत में ही गैलीलियो पर एक विधर्मी होने का आरोप लगाया गया था. बता दें कि विधर्म एक ऐसा अपराध था, जिसके लिए लोगों को कभी-कभी मौत की सजा तक दी जाती थी. हालांकि गैलीलियो को विधर्म के आरोपों से मुक्त कर दिया गया था. लेकिन उनसे कहा गया था कि वो सार्वजनिक रूप से ऐसा ना कहें कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र नहीं है. हालांकि आरोपों से बचने के बाद भी गैलीलियो ने खगोल विज्ञान का अपना अध्ययन जारी रखा था. 


इसके बाद 1632 में उन्होंने एक किताब छापी थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि कॉपरनिकस का सिद्धांत सही है, जिसके मुताबिक धरती की जगह सूरज केंद्र में है. इस बार फिर से गैलीलियो को एक बार फिर इनक्विजिशन के सामने लाया गया और इस बार उन्हें विधर्म का दोषी ठहराया गया था. इसके अलावा उनकी किताब को बैन कर दिया गया था. 


आजीवन कारावास


गैलीलियो को 1633 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. हालांकि उनकी उम्र और खराब स्वास्थ्य के कारण उन्हें घर में नजरबंदी के तहत कारावास काटने की अनुमति दी गई थी. लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण 8 जनवरी 1642 को कैद में रहते हुए ही गैलीलियो की मौत हो गई थी.


क्यों काटी गई उंगलियां?


मरने के बाद भी गैलीलियो को एक विधर्मी माना जाता था. इसलिए बिना किसी आधिकारिक समारोह के फ्लोरेंस के सांता क्रोस चर्च के एक छिपे हुए चैपल में उन्हें दफनाया गया था. हालांकि मौत के 100 सालों बाद साल 1737 में सांता क्रोस की उसी चर्च में गैलीलियो की एक समाधि बनाई गई थी. एक्सपर्ट बताते हैं कि कैथोलिक संतों के शव से अंगों को निकालना आम प्रथा हुआ करती थी. कहा जाता है कि इन अंगों में पवित्र शक्तियां होती हैं. जिन्होंने गैलीलियो की उंगलियां निकाली वो उन्हें संत मानते थे. बता दें कि गैलीलियो की वो ही उंगलियां निकाली गई थी, जिनसे वो पेन पकड़ा करते थे. हालांकि आज ये तीन उंगलियां इटली के फ़्लोरेंस शहर के एक म्यूज़ियम में रखी हुई हैं. 


 


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