दिल्ली में टेंपरेचर लगातार गिर रहा है. ठंड कड़ाके की पड़ रही है. पहाड़ी इलाकों में बाहर रखा पानी भी बर्फ हो जा रहा है. लेकिन इस दौरान आपने जानवरों को सड़कों पर या जंगलों में ऐसे ही घूमते देखा होगा. इंसानों ने ठंड से बचने के लिए अपने घरों में कई तरह की आधुनिक सुविधाएं इकट्ठा की हुई हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि जानवर ठंड से बचने के लिए क्या करते हैं. जो पालतू जानवर हैं उनकी देखरेख आप भले ही कर लेते हैं, लेकिन जो जानवर जंगली हैं या फिर आवारा घूमते हैं वह क्या करते हैं.


ठंड महसूस कैसे होती है


सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आखिर किसी को ठंड महसूस कैसे होती है. जर्मन स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी कोलोन के वैज्ञानिक योआखिम लाट्स के मुताबिक, इंसान की त्वचा में तापमान को भांपने वाले सेंसर होते हैं, इन हीट सेंसर कहा जाता है. यही सेंसर इंसानों को सर्दी, गर्मी या फिर अच्छे मौसम का एहसास कराते हैं. यानी अगर आपकी त्वचा पर गर्मी का एहसास होगा तो यह सेंसर दिमाग के जरिए पूरे शरीर में गर्मी का एहसास कराएगा और अगर आपकी त्वचा पर ठंडी का एहसास होगा तो यह सेंसर पूरे शरीर को ठंड का एहसास कराएगा.


जानवरों के साथ ठंड में क्या होता है


अलग-अलग तरह के जानवर ठंड से बचने के लिए अलग-अलग तरह की तरकीब अपनाते हैं. जैसे अगर इंसान को ठंड ज्यादा लगती है तो हम उठे और गर्म कपड़े पहन ने लगता है, उसी तरह ठंड शुरू होते ही कुछ जानवरों में बदलाव होने लगते हैं और उनके शरीर के बाल बेहद घने उगने लगते हैं. शेर, बाघ, तेंदुआ, भेड़िया, लंगूर और बंदरों के साथ बिल्कुल ऐसा ही होता है. ज्यादा घने बाल होने की वजह से ठंड सीधे उनके स्किन को छू नहीं पाती और इस वजह से उन्हें ज्यादा ठंड नहीं लगती. 


यह जानवर ठंड में रंग बदल लेते हैं


जिस तरह से कुछ जानवर ठंड के दौरान अपने शरीर पर घने बाल उगा लेते हैं, उसी तरह से इस दुनिया में ऐसे भी जानवर हैं जो ठंड से बचने के लिए अपने शरीर का रंग बदल लेते हैं. रेंडियर ऐसे ही जीवो में से एक है. दरअसल, जैसे ही ठंड ज्यादा पड़ती है रेंडियर के शरीर के बाल गहरे भूरे रंग के होने लगते हैं. हालांकि, इसके पीछे एक वजह यह भी बताई जाती है कि इनके शरीर पर जब ठंडियों के दौरान नए बाल तेजी से उगने लगते हैं ये तो देखने में ज्यादा भूरे लगते हैं.


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