एलियन इंसानों के लिए सबसे हमेशा से रहस्यमयी रहे हैं. आज भी और आज से हजारों साल पहले भी मनुष्य उनके अस्तित्व की तलाश करता रहा है. लेकिन अब ये चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के खगोलशास्त्री एवी लोएब ने एक ऐसी खोज की है जो एलियन्स के अस्तित्व को फिर से पुख्ता करता है. दरअसल, उन्होंने प्रशांत महासागर की गहराईयों से एक ऐसे उल्कापिंड खोज निकाला है, जो बेहद छोटा है लेकिन धातु का है. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये एलियन टेक्नोलॉजी हो सकता है.


कैसे मिला ये उल्कापिंड


दरअसल, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के खगोलशास्त्री एवी लोएब इस वक्त दुनियाभर में उल्कापिंडों की खोज कर रहे हैं. इसी कड़ी में उन्होंने प्रशांत महासागर में की गहराई में भी खोज की. लगभग दो हफ्ते तक चले इस खोज में 12 करोड़ रुपये खर्च हुए. हालांकि, इसके बदले उन्हें एक ऐसा उल्कापिंड मिला जो धातु का है और उसे एलियन टेक्नोलॉजी से जोड़ कर देखा जा रहा है.


50 गोलियां मिली हैं


सबसे बड़ी बात की ये उल्कापिंड 50 की तादाद में है. दरअसल, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के खगोलशास्त्री एवी लोएब को प्रशांत महासागर में कुल 50 धातु की गोलियां मिली हैं, जो पृथ्वी की नहीं हैं. ये सभी गोलियां अंतरिक्ष से पृथ्वी पर गिरी हैं. इनके आकार और इनकी बनावट को देख कर लगता है कि जैसे ये एलियन टेक्नोलॉजी हो. सबसे बड़ी बात की ये गोलियां उल्कापिंड नहीं बल्कि इंटरस्टेलर हैं. दरअसल, इंटरस्टेलर (Interstellar) उस चीज को कहते हैं जो अंतरीक्ष से धरती पर गिरी हो. ये उल्कापिंड से थोड़ी अलग होती है.


कहा जाता है कि अब तक पृथ्वी पर दो इंटरस्टेलर मिल चुके हैं. इनमें से पहला साल 2017 में मिला था, जिसका नाम ओउमुआमुआ था. वहीं दूसरा इंटरस्टेलर साल 2019 में मिला था जिसका नाम बोरिसोव था. दरअसल, इन इंटरस्टेलर की खोज कर उन पर रिसर्च कर दुनियाभर के वैज्ञानिक अंतरिक्ष के उन रहस्यों को जानने की कोशिश करते हैं, जहां अब तक उनकी पहुंच नही हो पाई है.


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