Ancient Creatures: डायनासोर पृथ्वी पर लगभग 230 मिलियन साल पहले थे. लेकिन आज भी पृथ्वी पर कई ऐसे जीव मौजूद है जो उनसे कहीं ज्यादा पुराने हैं. इन जीवों ने बड़े पैमाने पर विलुप्त होने, जलवायु परिवर्तन और बदलते महाद्वीपों का सामना किया. लेकिन उन्होंने जीवित रहने के लिए खुद को काफी हद तक ढाल लिया है. आइए जानते हैं कौन से हैं वे जीव जो डायनासोर से पहले के हैं और आज भी जीवित हैं.

Continues below advertisement

जेलीफिश 

जेलीफिश लगभग 500 मिलियन सालों से पृथ्वी के महासागरों में तैर रही है. आपको बता दें कि उनके पास दिमाग, दिल या फिर हड्डियां नहीं होती. लेकिन उनके शरीर का डिजाइन इतना प्रभावी साबित हुआ कि विकास को इसमें शायद ही कोई बदलाव करने की जरूरत पड़ी. साइंटिफिक स्टडी के मुताबिक जेलीफिश डायनासोर से काफी पहले मौजूद थीं.

Continues below advertisement

हॉर्सशू क्रैब

हॉर्सशू क्रैब को केकड़ा समझा जाता है लेकिन यह केकड़े नहीं होते. यह लगभग 450 मिलियन सालों से मौजूद हैं. उनका कवच जैसा खोल और पूछ की रीड की हड्डी काफी अनोखी लगती है. जो चीज उन्हें काफी ज्यादा मूल्यवान बनाती है वह है उनका नीला खून. दरअसल इनके खून का इस्तेमाल टीकों और चिकित्सा उपकरणों में बैक्टीरिया के संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है.

समुद्री स्पंज 

समुद्री स्पंज देखने में कुछ खास नहीं लगता लेकिन यह अब तक खोजे गए सबसे पुराने जानवरों में से एक है. यह 600 मिलियन से भी ज्यादा साल पुराने हैं. वे डायनासोर, मछलियों या फिर जटिल शिकारी को दिखाई देने से बहुत पहले पृथ्वी के महासागरों में बस गए थे. 

शार्क 

शार्क ने लगभग 400 मिलियन सालों तक समुद्री इकोसिस्टम पर राज किया है. इसका मतलब है कि वह डायनासोर के आने से लगभग 170 मिलियन साल पहले से मौजूद थे. कई प्रजातियां आई और चली गई लेकिन शार्क पृथ्वी पर सबसे लंबे समय तक रहने वाले शिकारी में से एक हैं.

सीलाकैंथ

दशकों तक वैज्ञानिकों का ऐसा मानना था कि यह मछली डायनासोर के साथ गायब हो गई. लेकिन 1938 में यह मछली फिर से पाई गई. इस मछली वंश का इतिहास लगभग 400 मिलियन साल पुराना है.

नॉटिलस

यह लगभग 500 मिलियन सालों से मौजूद हैं और समय के साथ इनमें काफी कम बदलाव आया है. इनका स्पाइरल खोल एक नेचुरल मैथमेटिकल पैटर्न को फॉलो करता है और एक ऐसा डिजाइन है कि यह सैकड़ो मिलियन सालों तक बना रहा है. कई प्राचीन प्रजातियों के उलट यह प्रजाति आज भी महासागरों में घूमती है.

ये भी पढ़ें: यह है अरावली पर्वतमाला की सबसे बड़ी चोटी, जानें क्यों कहते हैं इसे संतों का शिखर