आपने जब ग्रीनलैैंड का नाम सुना होगा तो आपके मन मेें यही खयाल आया होगा कि वहां कितनी हरियाली होगी. हालांकि ये महज आपका वहम है. जी हां, शायद आपको जानकर आश्चर्य हो कि ग्रीनलैंड में दूर-दूर तक हरियाली का नामोनिशान नहीं है. बल्कि यहां हर ओर बर्फ की चादर बिछी हुई है. ये दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है. इसका इतिहास भी काफी रोचक है और इसका नाम भी. तो चलिए आज बर्फ और ग्लेशियर से घिरी इस जगह के नाम की रोचक कहानी जानते हैं.

बर्फ से घिरे द्वीप का नाम क्यों पड़ा ग्रीनलैंड?ग्रीनलैंड का अधिकांश हिस्सा बर्फ से घिरा हुआ है. यदि ऊपर से इसे देखा जाए तो ये पूरा आर्कटिक देश सफेदी की चादर बिछाए हुए दिखता है. फिर भी इसका नाम ग्रीनलैंड है. जिसकी वजह वैज्ञानिक बताते हैं कि 25 लाख साल पहले ये हरा भरा इलाका हुआ करता था. जो धिरे-धिरे बर्फ में दब गया और अब वहां हरियाली नहीं है. कई इतिहासकारों का मानना है कि इस देश का इतिहास 4500 साल पुराना है.

इस समय नहीं डूबता सूरजग्रीनलैंड की भोगालिक स्थिति पर नजर डालें तो यहां पर 25 मई से लेकर 25 जुलाई तक सूर्य नहीं डूबता. ऐसे में इस दौरान दिन-रात सूर्य देखा जा सकता है. यहां मिडनाइट सन को देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक आते हैं. 

पिघल रही है ग्लेशियरयहां मौजूद ग्लेशियर अब धीरे-धीरे पिघल रहे हैं, जो बड़ी चिंता का विषय हैं. ऐसे में यहां पिछले 30 सालों में काफी बदलाव देखने को मिला है और यही वजह है कि अब कई इलाकों ममें यहां धीरे-धीरे हरियाली पनप रही है.

कितनी है आबादीग्रीनलैंड का कुल क्षेत्रफल 21.6 लाख वर्ग किलोमीटर है. जो 80 प्रतिशत बर्फ से घिरा हुआ है. यहां की कुल आबादी 56 हजार के आसपास है. यहीी वजह है कि ये दुनिया का सबसे कम घनत्व वाला देश भी कहा जाता है.           

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