अमेरिका और रूस दुनिया के दो ताकतवर देश हैं. इन देशों के पास अपनी बेहतरीन सेनाएं, इकोनॉमिक कंडीशन, बेहतरीन हथियार जैसी कई चीजें हैं जो कि दोनों को दुनिया में मजबूती से खड़ा रखती हैं. दोनों देशों को दुनिया की कई चीजों में अक्सर मुकाबला करते हुए भी देखा जाता है. अमेरिका और रूस के बीच कोल्ड वॉर लंबे समय तक देखने को मिली थी. यह एक भू-राजनीतिक प्रतिद्वंदिता थी. यह लड़ाई 1947 से शुरू होकर 1991 तक सोवियत संघ के विघटन तक चली थी. यह शीत युद्ध पश्चिमी ब्लॉक (अमेरिका और उसके सहयोगी) और पूर्वी ब्लॉक (सोवियत संघ और उसके सहयोगी) के बीच हुई थी. यह इतिहास की सबसे लंबी जंग मानी जाती है. आइए जानें कि इस दौरान पाकिस्तान किसके साथ था.
क्यों हुई थी कोल्ड वॉर
अमेरिका और रूस के बीच एक प्रत्यक्ष सशस्त्र युद्ध नहीं हुआ था. यह कोल्ड वॉर थी जो कि आर्थिक और वैचारिक, राजनीतिक प्रतिद्वंदिता इसमें परमाणु हथियारों की दौड़ और दुनिया भर में अपना प्रभाव जमाने के लिए प्रतिस्पर्धा थी. दरअसल कोल्ड वॉर इसलिए हुई, क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका और सोवियत यूनियन के बीच सहयोग टूट गया. इस वजह से दोनों क बीच राजनैतिक और वैचारिक मतभेद होने लगे. अमेरिका चाहता था कि पूंजीवाद और लोकतंत्र को बढ़ावा मिले जबकि सोवियत यूनियन साम्यवाद को बढ़ाना चाहता था. इसीलिए सोवियत यूनियन ने पूर्वी यूरोप में वामपंथी सरकारें स्थापित करनी शुरू कर दी, जिससे अमेरिका की चिंता बढ़ गई.
दो ध्रुवों में बंट गई दुनिया
शीत युद्ध के दौरान दोनों देशों में कड़ी प्रतिस्पर्धा रही थी. दोनों देशों ने हथियारों की दौड़ में हिस्सा लिया, जासूसी की और दुनिया में अपना प्रभाव स्थापित करने की कोशिश की. इस दौरान अमेरिका और रूस ने परमाणु हथियारों और अन्य विनाशकारी हथियारों का विकास किया, इससे दुनियाभर में परमाणु युद्ध का खतरा मंडराने लगा था. दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ जासूसी की और उनके जासूसों को पकड़ा भी गया. अमेरिका ने NATO नाम से गठबंधन बनाया और सोवियत यूनियन ने Warsaw Pact नाम का गठबंधन बनाया, जिससे दुनिया दो ध्रुवों में बंट गई. दोनों ने अंतरिक्ष में पहुंचने की भी दौड़ लगाई और पहली बार इंसान को अंतरिक्ष में और चांद पर भेजने की उपलब्धि हासिल हुई.
शीत युद्ध में पाकिस्तान ने किसका साथ दिया था
दोनों देश चाहते थे कि दुनिया उनके आर्थिक और राजनीतिक सिद्धांतों से प्रभावित हो, इससे तो शीत युद्ध की स्थिति गंभीर हो गई थी. 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद ही शीत युद्ध का अंत हुआ. यह इतिहास का सबसे लंबा शीत युद्ध माना जाता है. इस दौरान पाकिस्तान ने अमेरिका का साथ दिया था.
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