दुनिया में कई तरह के लोग हैं, जिनकी जीवनशैली, रहन-सहन और रोजमर्रा के काम हमें हैरान कर देते हैं. कुछ लोग अपने पहनावे, खान-पान या कला के लिए जाने जाते हैं, तो कुछ समुदाय ऐसे भी हैं जिनका रहन-सहन पूरी दुनिया से बिल्कुल अलग और अद्वितीय है. ऐसे ही एक समुदाय की कहानी है, जिसका जीवन सीधे समुद्र से जुड़ा हुआ है. ये लोग जमीन पर कम रहते हैं और ज्यादातर समय पानी पर ही अपना घर बनाकर बिताते हैं. आइए इनके बारे में जानते हैं.

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बाजाऊ जनजाति

इस अद्भुत समुदाय को बाजाऊ या समुद्र के बंजारे कहा जाता है. ये लोग सदियों से पानी को अपना घर मानते आए हैं. उनकी जीवनशैली पूरी तरह से समुद्र और पानी के इर्द-गिर्द घूमती है. बाजाऊ लोग कुशल नाविक और बेहतरीन फ्रीडाइवर माने जाते हैं. उनका खानाबदोश जीवन उन्हें एक द्वीप से दूसरे द्वीप तक ले जाता है, खासकर मौसम के बदलते हुए पैटर्न के अनुसार. ये लकड़ी के खंभों पर बने घरों या लेपा-लेपा नामक हाउसबोट में रहते हैं, जो पूरी तरह से पानी के ऊपर आधारित होते हैं.

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जीवन शैली और विशेषज्ञता

बाजाऊ लोगों की खासियत यह है कि ये मछली पकड़ने और समुद्र के संसाधनों का इस्तेमाल करने में माहिर हैं. वे पारंपरिक भाले का इस्तेमाल करके मछली और ऑक्टोपस पकड़ते हैं. उनके गोताखोरी के कौशल भी असाधारण हैं. वे बिना किसी उपकरण के 20-30 मीटर गहरे पानी में गोता लगा सकते हैं और अपनी सांस 5 मिनट तक रोक सकते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि बाजाऊ लोगों में आनुवंशिक रूप से प्लीहा (spleen) बड़ा होता है, जो उन्हें लंबे समय तक पानी में रहने और सांस रोकने में मदद करता है. 

बच्चों की अद्भुत क्षमता

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि बाजाऊ समुदाय के बच्चे चलने से पहले तैरना सीख जाते हैं. उनका जीवन बचपन से ही समुद्र के साथ जुड़ा होता है, इसलिए तैरना उनके लिए जन्मजात कला के समान है. पानी में रहने, गोताखोरी और मछली पकड़ने की आदतें इनके शरीर और मस्तिष्क को भी इस माहौल के अनुसार ढाल देती हैं.

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