पिछले कुछ वक्त से वोटर आईडी कार्ड और वोटर लिस्ट का मुद्दा बहुत सुर्खियों में है. बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन SIR के बाद विपक्ष ने चुनाव आयोग पर कई आरोप लगाए थे. इसमें विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने तो चुनाव आयोग को पहले नाम काटे जाने को लेकर दावा किया था, लेकिन फिर उनके खुद के दो EPIC नंबर निकल आए, जिससे कि उनसे पूछताछ चल रही है. चुनाव आयोग ने इसको लेकर तेजस्वी यादव से जानकारी मांगी है. चलिए जानें कि EPIC नंबर क्या होता है, यह कैसे जारी किया जाता है और हर राज्य में यह अलग क्यों होता है.
क्या होता है EPIC नंबर
EPIC नंबर को ऐसे समझा जा सकता है, जैसे कि आपके आधार कार्ड पर एक न्यूमेरिक नंबर लिखा होता है. बिल्कुल इसी तरह से वोटर आईडी कार्ड पर भी एक 10 अंकों का नंबर लिखा होता है. इसी को EPIC नंबर कहा जाता है. इसका पूरा नाम होता है Electors Photo Identity Card, 18 साल से ज्यादा की उम्र से सभी लोगों को यह नंबर जारी किया जा सकता है. यह वोटर्स की पहचान करने वाला एक दस्तावेज होता है, जिसको कि चुनाव आयोग जारी करता है.
कैसे दिया जाता है EPIC नंबर
EPIC नंबर प्राप्त करने के लिए पहले आपको मतदाता के रूप में खुद को रजिस्टर कराना होता है. इसके लिए फॉर्म-6 भरा जाता है. फॉर्म 6 भरे जाने के बाद भारतीय चुनाव आयोग EPIC नंबर के साथ ही वोटर आईडी कार्ड भी जारी करता है. आप अपने वोटर आईडी कार्ड में EPIC नंबर को आसानी से पा सकते हैं. अगर आपके पास वोटर आईडी कार्ड नहीं है, तो आप NVSP यानि कि नेशनल वोटर सर्विस के ऑफिशियल पोर्टल पर जाकर EPIC नंबर ले सकते हैं.
क्या हर राज्य में अलग होता है EPIC नंबर
EPIC नंबर मतदाता पहचान पत्र के लिए यूनिक आईडी होती है. यह हर मतदाता का अलग-अलग ही होता है, इसलिए जाहिर है कि हर राज्य में अलग EPIC नंबर होगा. EPIC नंबर की वजह से विभिन्न चुनावी सेवाओं को भी एक्सेस किया जा सकता है. इसके जरिए वोटर स्टेट्स की जांच, मतदाता पहचान पत्र पर जानकारी का बदलना और मतदाता पहचान पत्र पर आवेदन की कुछ ऐसी सेवाएं हैं, जिनका लाभ उठाया जा सकता है. EPIC नंबर के आधार पर वोटर लिस्ट का विवरण राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा निर्धारित किया जाता है.
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