हर साल 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है. यह दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो एक महान शिक्षक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति थे. आज हम एक ऐतिहासिक शख्सियत, मुगल बादशाह औरंगजेब की शिक्षा और उसके शिक्षकों के बारे में आपको बताएंगे. चलिए जानते हैं कि किन टीचर्स ने औरंगजेब को तालीम दी थी उन्हें कितनी सैलरी मिलती थी.
औरंगज़ेब की शिक्षा औरंगजेब का जन्म 4 नवंबर 1618 को गुजरात के दोहद में हुआ था. वह मुगल सम्राट शाहजहां और मुमताज महल का पुत्र था. उसकी प्रारंभिक शिक्षा उसके बचपन में नूरजहां की देखरेख में शुरू हुई. मुगल काल में मुगल शहजादों को हर तरह की शिक्षा दी जाती थी. मुगलकाल में शिक्षा का दायरा बहुत व्यापक था. शहजादों को बचपन से ही कुरान, हदीस और इस्लामी कानूनों की शिक्षा दी जाती थी. साथ ही उन्हें फारसी और अरबी साहित्य पढ़ाया जाता था. लेकिन यह केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं था. उन्हें युद्ध कला, घुड़सवारी, तलवारबाजी और शासन चलाने की बारीकियां भी सिखाई जाती थीं.
कौन थे औरंगजेब के गुरु
औरंगजेब के प्रमुख शिक्षकों के नाम इतिहास में स्पष्ट रूप से उल्लेखित नहीं हैं, लेकिन मुगल दरबार में उस समय विद्वानों और उस्तादों की एक पूरी परंपरा थी. माना जाता है कि उन्हें मौलवियों, सूफी संतों और विद्वानों ने पढ़ाया. औरंगजेब को फारसी और इस्लामी कानूनों की शिक्षा देने के लिए दरबार में विद्वानों का एक समूह नियुक्त था. इस्लाम को लेकर औरंगजेब कट्टर था पर इस्लामी विद्वानों, सूफी संतों और आध्यात्मिक मार्गदर्शकों से प्रभावित रहता था. उस पर सबसे अधिक प्रभाव डाला सूफी संत सैयद जैनुद्दीन शिराजी ने, जिनको वह अपना आध्यात्मिक गुरु मानता था. औरंगजेब की पढ़ाई में युद्ध कौशल, सैनिक रणनीति, प्रशासन, इस्लामी शिक्षा के साथ-साथ तुर्की और फारसी साहित्य भी शामिल थे.
शिक्षकों का वेतनउस दौर में शिक्षकों का वेतन नकद धनराशि के बजाय अक्सर जागीरों, उपहारों या सम्मान के रूप में दिया जाता था. मुगल काल में विद्वानों और शिक्षकों को दरबार में उच्च सम्मान मिलता था.
इसे भी पढ़ें-Teacher’s Day 2025: 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस, जानिए इसका इतिहास और महत्व