पसीना आना किसे अच्छा लगता है. पसीने के बाद हुई चिपचिप और बदबू इरीटेट कर देती है. आपके परिवार में ही या आसपास कई ऐसे लोग होंगे, जिन्हें बहुत पसीना आता होगा. ऐसे लोग चाहें खाना खाएं या सामान्य तरीके से बैठे रहें, इनका पूरा बदन पसीने से ही भीग जाता है. वहीं, दूसरी तरफ वे लोग हैं जिन्हें पसीना ही नहीं आता है. ऐसे लोग चाहे जिम में जमकर वर्कआउट करें या कोई और मेहनत वाला काम, या तो इनके पसीना आता नहीं अगर आता भी है तो न के बराबर. 

कई लोग इसे अच्छा मानते हैं. उन्हें लगता है कि पसीना नहीं आएगा तो चिपचिप भी नहीं होगी और न होगी शरीर में होने वाली बदबू. हालांकि, कभी आपने सोचा है कि सामान्य तौर पर तो सभी लोगों के पसीना निकलता है, लेकिन कुछ लोगों के पसीना क्यों नहीं आता? ऐसा किस वजह से होता है? चलिए इन सवालों  का जवाब जानते हैं... 

पसीना निभाता है अहम रोल

पसीना हमारे शरीर में काफी अहम रोल निभाता है. यह हमारी बॉडी से गंदगी यानी डिटॉक्स तो करता ही है, साथ ही शरीर के तापमान को भी नियंत्रित करने में पसीने की अहम भूमिका होती है. हमारी पसीने की ग्रंथियां हमारे शरीर को ठंडा रखने और तापमान को नियंत्रित करने का काम करती हैं. अगर पसीना नहीं आएगा तो शरीर लंबे समय तक गर्म रहेगा, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. कई बार तो यह समस्या गंभीर बीमारी का कारण तक बन जाती है.  

बचपन से नहीं काम करती स्वेटिंग ग्लैंड

आपके आसपास कुछ लोग ऐसे होंगे, जिन्हें मेहनत वाला काम करने के बाद भी पसीना नहीं आता. दरअसल, पसीने आना या न आना पूरी तरह से स्वैट ग्लैंड पर निर्भर करता है. कुछ लोगों के बचपन से ही यह ग्लैंड नहीं होती या काम नहीं करतीं. वहीं, कुछ लोगों में दवाईयों के सेवन के कारण यह ग्रंथियां काम करना बंद कर देती हैं. ऐसी स्थिति में पसीना आना बंद हो जाता है. इस स्थिति को एक्टोडर्मल डिस्प्लेसिया कहते हैं. एक सामान्य व्यक्ति जो एक्टोडर्मल डिस्प्लेसिया से ग्रसित नहीं है, उसके शरीर में 2 से 4 मिलियन पसीने की ग्रंथियां होती हैं. 

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