नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की आज सिर्फ न्यायपालिका में अपनी ईमानदारी और निष्पक्षता के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी शिक्षा और संघर्ष की मिसाल के लिए भी याद की जाती हैं. बिराटनगर जैसे छोटे शहर से निकलकर उन्होंने शिक्षा की सीढ़ियां चढ़ीं और आखिरकार बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) तक पहुंचीं. आज कार्की ने नेपाल के अंतरिम पीएम के रूप में शपथ ली.

Continues below advertisement

भारत में ली है सुशीला ने शिक्षा!

सुशीला कार्की ने 1972 में महेंद्र मोरंग कैंपस, बिराटनगर से कला (BA) की डिग्री हासिल की. इसके बाद उनका सफर भारत की ऐतिहासिक धरती वाराणसी तक पहुंचा, जहां उन्होंने 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान (Political Science) में मास्टर्स पूरा किया. BHU का यह दौर उनके जीवन का अहम पड़ाव साबित हुआ और यहीं से उन्होंने व्यापक दृष्टिकोण और सामाजिक-राजनीतिक समझ विकसित की, जिसने आगे चलकर न्यायपालिका में उनकी सोच को आकार दिया.

इस तरह रखा कानून की दुनिया में कदम

मास्टर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने नेपाल की त्रिभुवन यूनिवर्सिटी से 1978 में विधि (Law) की डिग्री हासिल की और वकालत की दुनिया में कदम रखा. अपने करियर में वे तेजी से आगे बढ़ीं और 2016 में नेपाल सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं. BHU से उनकी पढ़ाई का यह किस्सा आज भी उनकी संघर्षगाथा का अभिन्न हिस्सा माना जाता है. यह बताता है कि छोटे शहर से निकली एक छात्रा ने कैसे सीमाओं को पार किया और अपने ज्ञान, मेहनत और ईमानदारी से पूरे देश की न्यायपालिका में इतिहास रच दिया.

Continues below advertisement

यह भी पढ़ें: हर साल इतनी नेपाली महिलाओं से शादी करते हैं भारतीय, जानें कौन-सा राज्य है सबसे आगे?

अपनी सादगी के लिए भी जानी जाती है सुशीला कार्की

सुशीला कार्की अपनी सादगी के लिए भी जानी जाती रही हैं. उन्हें लेकर यह किस्सा अक्सर सुनाई देता है कि ऊंचे पद पर पहुंचने के बावजूद उन्होंने कभी तड़क-भड़क नहीं दिखाई और आम लोगों की तरह सादगी से जीवन जिया. इसी छवि के चलते उन्हें “सादगी वाली जज”  भी कई लोग कहते हैं, जो उनके व्यक्तित्व की ईमानदारी और पारदर्शिता का प्रतीक माना जाता है. 

यह भी पढ़ें: जब अमेरिका में भूखे पेट घूमे थे स्वामी विवेकानंद, एक गरीब औरत ने खिलाई थी यह चीज