Sushila Karki Love Story: नेपाल में चल रहे राजनीतिक उथल-पुथल के बीच और Gen-Z के विरोध प्रदर्शन के बीच सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाई गईं हैं.  नेपाल के आंदोलनकारी युवाओं ने ही सुशीला कार्की के नाम का प्रस्ताव रखा था. सुशीला कार्की देश के सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस रह चुकी हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुशीला कार्की का भारत से भी गहरा नाता रहा है. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है और वहीं पर उन्होंने प्यार का पाठ भी पढ़ा था. चलिए थोड़ा उनकी लव स्टोरी के बारे में जान लेते हैं.

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सुशीला कार्की के जीवनसाथी का प्लेन हाईजैक कनेक्शन

1973 के दौर में नेपाल के इतिहास में एक अहम मोड़ आया. उस दौर में देश में लोकतंत्र की बहाली की कोशिशें तेज थीं. गिरिजा प्रसाद (जीपी) कोइराला इसके लिए सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व कर रहे थे. उस दौरान उन्हें हथियारों की खरीद के लिए बड़ी रकम की जरूरत थी. ठीक उसी वक्त जून 1973 में नेपाल एयरलाइंस का एक विमान अपहृत कर लिया गया. यह विमान विराटनगर से काठमांडू जा रहा था और इसमें लगभग 40 लाख रुपये की नकदी थी, जो नेपाल के सेंट्रल बैंक के लिए भेजी जा रही थी.

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तब हाईजैकर्स ने विमान को मजबूरन भारत के बिहार के फारबिसगंज में उतारा. वहां से नकदी निकाल ली गई और यह रकम कथित रूप से जीपी कोइराला को सौंपी गई. आगे चलकर यही घटना नेपाल के लोकतांत्रिक आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण मानी गई, क्योंकि बाद में लोकतंत्र की वापसी हुई और कोइराला चार बार प्रधानमंत्री बने.

सुशीला कार्की का BHU का सफर और दुर्गा सुबेदी

इसी हाईजैक के मामले में नेपाल कांग्रेस से जुड़े चार कार्यकर्ताओं के नाम सामने आए. उन्हीं में से एक थे दुर्गा प्रसाद सुबेदी. हालांकि बाद में दुर्गा सुबेदी का जीवन एक अलग दिशा में गया. वे शिक्षा और राजनीति से जुड़े रहे और आगे चलकर सुशीला कार्की के जीवनसाथी बने.

सुशीला कार्की का जन्म बिराटनगर में हुआ था. पढ़ाई के लिए उन्होंने भारत का रुख किया और 1975 में वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की. इसके बाद वे नेपाल लौटीं और त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा प्राप्त कर न्यायिक सेवा में प्रवेश किया.

दिलचस्प बात यह है कि कहा जाता है कि सुशीला कार्की और दुर्गा सुबेदी की मुलाकात भी BHU के दिनों में हुई थी. सुबेदी उस समय उनके शिक्षक रहे और बाद में दोनों जीवनभर के साथी बने. सुशीला कार्की ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि दुर्गा उनके सबसे कठिन समय में भी भरोसेमंद मार्गदर्शक और मित्र रहे थे.

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