शहरों में बढ़ रही पार्किंग की दिक्कत के बीच कई तरह के रास्ते निकाले जा रहे हैं और इन रास्तों में एक है स्टिल्ट पार्किंग. क्या आपने पहले कभी इसका नाम सुना है या आप जानते हैं कि यह कहां बनाई जाती है और इस पार्किंग को लेकर क्या नियम हैं. दरअसल, ये पार्किंग की व्यवस्था कई शहरों में की जा रही है और अक्सर छोटी बिल्डिंग्स बनाने वाले बिल्डर्स इसका इस्तेमाल करते हैं. तो आज हम आपको बताते हैं कि आखिर स्टिल्ट पार्किंग की क्या कहानी है और क्या है इससे जुड़े नियम...

क्या होती है स्टिल्ट पार्किंग?

अगर स्टिल्ट पार्किंग की बात करें तो यह पार्किंग बिल्डिंग्स में बनाई जाती है. जब कोई बिल्डर्स एक छोटी जमीन पर कुछ फ्लैट्स बनाते हैं तो उन जगहों पर स्टिल्ट पार्किंग बनाते हैं. यह कंसेप्ट बड़ी सोसायटी में नहीं बल्कि 8-10 फ्लैट्स वाली बिल्डिंग में यह तरीका इस्तेमाल होता है. अब सवाल है कि आखिर यह आम पार्किंग स्पेस से किस तरह अलग होती है.

दरअसल, जब भी कोई बिल्डिंग बनाई जाती है तो उस बिल्डिंग के निचले फ्लोर में कुछ खाली जगह छोड़ी जाती है. इसकी ऊंचाई आम पार्किंग स्पेस की तरह ज्यादा नहीं होता है, बल्कि यह करीब 8 फुट ऊंची एक मंजिल होती है. आपने भी देखा होगा कि कई बिल्डिंग में बेसमेंट की तरह एक स्पेस गाड़ी पार्किंग के लिए रखा जाता है, जिसे स्टिल्ट पार्किंग कहा जाता है.  स्टिल्ट पार्किंग वाली बिल्डिंग को आमतौर पर G+4 या G+3 के जरिए बताया जाता है. वहीं, जो बड़ी सोसायटी होती हैं, उनमें मल्टी फ्लोर की पार्किंग बनाई जाती है, जिसे स्टिल्ट पार्किंग नहीं कहा जा सकता है. 

आपको बता दें कि जिन बिल्डिंग में स्टिल्ट पार्किंग बनाई जाती है, उन जगहों का इस्तेमाल सिर्फ पार्किंग के लिए ही किया जा सकता है. कई बिल्डिंग में इस स्थान पर कुछ फ्लैट्स बना दिए जाते हैं या फिर कर्मचारियों के रहने के लिए कुछ कंस्ट्रक्शन कर दिया जाता है, जो गैर कानूनी है. बिल्डिंग के सबसे नीचे वाले फ्लोर पर बनाए गए इस स्पेस को गाड़ी खड़ी करने के लिए ही इस्तेमाल किया जा सकता है या फिर किसी सामूहिक कार्य के लिए इसका यूज कर सकते हैं. इसका इस्तेमाल किसी भी व्यावसायिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता है. 

क्या है इससे जुड़े नियम?

अगर आप किसी ऐसी बिल्डिंग में शिफ्ट हो रहे हैं, जहां स्टिल्ट पार्किंग हैं तो आपको इस पार्किंग से जुड़े कुछ नियम जानने की जरुरत है. एक तो खास बात ये है कि स्टिल्ट पार्किंग को फ्लोर-स्पेस रेशियो का हिस्सा नहीं माना जाता है. ऐसे में जितने फ्लोर की मंजूरी है, उतने फ्लोर बनाए जा सकते हैं और इसमें पार्किंग शामिल नहीं होती है. हालांकि, इन जगहों पर कोई निर्माण नहीं किया जा सकता है और इस जगह को खाली ही रहने दिया जाएगा. इस स्थान का इस्तेमाल बिल्डिंग में रहने वाले लोगों के लिए सामान्य सुविधाओं का हिस्सा माना जाता है. इसके अलावा बिल्डर पार्किंग स्थान को बेच नहीं सकता है. बता दें कि कोर्ट ने भी इसे ना बेचने की बात अपने फैसलों में कही है. 

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