India SIR: बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, और अब इसका दूसरा चरण यानी SIR 2.0 देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू हो गया है. इस चरण में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्य भी शामिल हैं. आजादी के बाद से यह नौवां बड़ा पुनरीक्षण अभियान माना जा रहा है. इससे पहले ऐसा व्यापक अभियान साल 2002 से 2004 के बीच चलाया गया था. 

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SIR यानी State Identification Register को लेकर लोगों के मन में कई तरह की आशंकाएं उठ रही हैं. सबसे बड़ा डर यही है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाया, तो क्या सरकार उसे देश से बाहर निकाल देगी? इस सवाल का जवाब उतना सीधा नहीं जितना लगता है, लेकिन सच्चाई जानना जरूरी है.

SIR में छंटने वालों का क्या होगा?

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SIR प्रक्रिया के तहत सरकार देश के नागरिकों का सत्यापन कर रही है ताकि देश में अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान की जा सके, लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि जो भी व्यक्ति नागरिकता के दस्तावेज तुरंत नहीं दिखा पाएगा, उसे विदेशी मान लिया जाएगा. असल में यह एक कानूनी और चरणबद्ध प्रक्रिया है, जिसमें हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलेगा.

अगर किसी व्यक्ति के दस्तावेज अधूरे हैं या उसकी नागरिकता पर संदेह है, तो मामला सीधे किसी पुलिस कार्रवाई या निर्वासन का नहीं बनता. पहले उसका मामला Foreigners Tribunal में भेजा जाएगा, जहां सबूतों और दलीलों के आधार पर यह तय किया जाएगा कि वह व्यक्ति भारतीय नागरिक है या नहीं.

क्या देश से निकाल देगी सरकार?

अगर Tribunal किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित भी कर दे, तब भी सरकार उसे तुरंत देश से नहीं निकाल सकती है. ऐसा तभी संभव है जब उस व्यक्ति की नागरिकता किसी दूसरे देश की साबित हो जाए और वह देश उसे स्वीकार करने को तैयार हो. जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक व्यक्ति को डिटेंशन सेंटर या निगरानी में रखा जा सकता है. हालांकि, सरकार ने कई बार यह कहा है कि मानवाधिकारों का पूरा ध्यान रखा जाएगा और किसी को भी बिना सुनवाई या सबूत के बाहर नहीं निकाला जाएगा.

चल सकती है लंबी कानूनी प्रक्रिया

सरकार का यह भी कहना है कि यह प्रक्रिया नागरिकता छीनने की नहीं, बल्कि रिकॉर्ड स्पष्ट करने की कवायद है, ताकि भविष्य में भ्रम की स्थिति न बने. जो लोग गरीब या ग्रामीण इलाकों से हैं, उनके लिए दस्तावेज की व्यवस्था में भी विशेष सहायता दी जाएगी. कुल मिलाकर, SIR के बाद देश से बाहर निकाले जाने जैसी बातें ज्यादातर अफवाहें हैं. असल सच्चाई यह है कि नागरिकता पर सवाल उठने की स्थिति में भी एक लंबी कानूनी प्रक्रिया चलेगी, जिसमें हर व्यक्ति को अपनी बात रखने और अपील करने का पूरा हक होगा.

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