Afghanistan Gandhara: अफगानिस्तान के बड़े शहरों में से एक कंधार तालिबान शासन के बाद संघर्ष और अस्थिरता के लिए अक्सर चर्चा में रहता है. लेकिन इस शहर का एक गहरा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है. आज हम जानेंगे कि इस जगह का संबंध महाभारत और कौरवों के धूर्त मामा शकुनी से कैसे है. तो आइए जानते हैं.

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प्राचीन काल में गंधार

गंधार साम्राज्य प्राचीन भारत का एक बड़ा सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्र था. इस क्षेत्र में पूर्वी अफगानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान और उत्तर पश्चिमी पंजाब के कुछ हिस्से शामिल थे. गंधार अपने समृद्ध व्यापार मार्गों और कलात्मक योगदान के लिए पहचाना जाता था. गंधार की राजधानी तक्षशिला जो अभी पाकिस्तान में है शिक्षा और संस्कृति का केंद्र थी. इसे अब रावलपिंडी जिले में एक पुरातात्विक स्थल के रूप में संरक्षित किया गया है.  गंधार को प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में भी गिना जाता था. यह जगह ज्ञान, धर्म और वाणिज्य के केंद्र में खूब फली फूली. इसी जगह ने भारत को मध्य एशिया और फारस से जोड़ा. 

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अब एक आधुनिक शहर 

कंधार शहर का पुराना नाम क्वांधर था जिसे गंधार क्षेत्र से लिया गया है. फारस, मध्य एशिया और भारत को जोड़ने वाले व्यापार मार्गों पर रणनीतिक रूप से बसा कंधार ऐतिहासिक रूप से विजेताओं के लिए एक मान और सम्मान का शहर रहा है. सिकंदर 329 ईसा पूर्व में इस पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद 305 ईसा पूर्व में यूनानियों ने कंधार को चंद्रगुप्त मौर्य को सौंप दिया था. बाद में यह सातवीं शताब्दी में अरबों के शासन और दसवीं शताब्दी में गजनवी के अधीन रहा और बाद में चंगेज खान और तैमूर ने इसे पूरी तरह तबाह कर दिया. 

मुगल सम्राट बाबर ने इसके बुनियादी ढांचे में काफी ज्यादा योगदान दिया जिसमें चूना पत्थर की सीढ़िया पर स्मारकीय शिलालेख भी शामिल है. 1747 में कंधार एकीकृत अफगानिस्तान की पहली राजधानी बना. इस शानदार इतिहास के बावजूद भी आज का कंधार अक्सर संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता से जुड़ा हुआ है. 

शकुनी और महाभारत का संबंध 

हजारों साल पहले गंधार के राजा सुबाला के पुत्र शकुनि ने इस जगह पर शासन किया था. शकुनि की बहन गांधारी ने हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र से शादी की, जिसके बाद शकुनी कौरवों के मामा बने. 

आज का गंधार 

आज प्राचीन गंधार क्षेत्र अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बंटा हुआ है. यह जगह आज अफगानिस्तान के पूर्व हिस्से में पड़ती है और पेशावर और काबुल घाटी जैसे कुछ हिस्से पाकिस्तान में भी हैं. गंधार का मुख्य केंद्र पेशावर घाटी और पोथोहार पठार का इलाका था जो अब पाकिस्तान में है.

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