दुनिया में कई देश ऐसे हैं जहां पानी का संकट बढ़ता जा रहा है, लेकिन एक देश ऐसा भी है, जिसने समुद्र के खारे पानी को ही अपनी सबसे बड़ी ताकत बना लिया है. यहां रोजाना इतना मीठा पानी तैयार होता है कि कई देशों की साल भर की जरूरत भी पूरी हो जाए. बिना नदी, बिना झील और बेहद कम बारिश के बावजूद यह देश पानी के उत्पादन में दुनिया से बहुत आगे निकल चुका है. आखिर कैसे? कैसे हर दिन नए रिकॉर्ड बनते हैं? पूरी कहानी चौंकाने वाली है.
कौन सा देश बनाता है सबसे ज्यादा मीठा पानी?
पानी की कमी पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती है, लेकिन सऊदी अरब ने इस चुनौती को एक अवसर में बदल दिया है. जिस देश में प्राकृतिक रूप से पानी की नदियां नहीं हैं, बारिश बेहद कम होती है और भूमिगत पानी लगातार घट रहा है, वही देश दुनिया का सबसे बड़ा मीठा पानी उत्पादन केंद्र बन चुका है. सऊदी अरब हर दिन ऐसे रिकॉर्ड बनाता है, जिसे दुनिया के कई देश साल भर में भी हासिल नहीं कर पाते हैं.
समुद्र के पानी को मीठा बनाने में दुनिया का नंबर-1 देश
सऊदी अरब के पास विशाल समुद्री तट है और इसी तट ने देश को पानी के क्षेत्र में दुनिया का अगुवा बना दिया है. खाड़ी क्षेत्र में फैक्ट्री जैसे दिखने वाले विशाल डी-सैलिनेशन प्लांट 24 घंटे चलते हैं, जहां अरबों लीटर समुद्री पानी को छानकर पीने योग्य बनाया जाता है. एक अनुमान के अनुसार, सऊदी अरब दुनिया की कुल डी-सैलिनेशन क्षमता का लगभग 20% अकेले संभालता है.
हर दिन कितना पानी होता है साफ?
सऊदी अरब हर दिन लगभग 70 लाख क्यूबिक मीटर मीठा पानी उत्पादन करता है. तुलना करें तो कई एशियाई और अफ्रीकी देश साल भर में भी इतना पानी नहीं बना पाते हैं. सऊदी अरब की भौगोलिक स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है. पूरे देश में नदियां नहीं हैं, बारिश साल भर में मुश्किल से 100-200 mm होती है. इसलिए वहां तापमान 50°C तक पहुंच जाता है.
इन परिस्थितियों को हराने में आधुनिक तकनीक का बड़ा हाथ है. डी-सैलिनेशन प्लांट समुद्री पानी से नमक हटाते हैं, और इसे पीने योग्य बनाकर पाइपों और वाटर टैंकरों के जरिये शहरों, घरों और उद्योगों तक पहुंचाया जाता है.
दुनिया का सबसे बड़ा वाटर ट्रांसपोर्ट सिस्टम
राजधानी रियाद समुद्र से सैकड़ों किलोमीटर दूर है. यहां पानी पहुंचाने के लिए सऊदी अरब ने दुनिया की सबसे लंबी वाटर पाइपलाइन सिस्टम बनाई है. समुद्री तट से मीठा पानी रियाद की ऊंचाई वाले इलाकों तक पंप किया जाता है, जिसके लिए भारी ऊर्जा की जरूरत होती है. कई इलाकों में अभी भी पानी घर की अंडरग्राउंड टंकी में टैंकरों के माध्यम से पहुंचाया जाता है.
इतना पानी कैसे बनता है?
मुख्य रूप से दो तकनीकों का इस्तेमाल होता है-
RO (Reverse Osmosis)- समुद्री पानी को झिल्लियों से छानकर मीठा किया जाता है.
थर्मल डी-सैलिनेशन- पानी को गर्म करके भाप बनाई जाती है, फिर उसे ठंडा कर मीठा पानी बनाया जाता है. दुनिया के नवीनतम और सबसे बड़े RO प्लांट सऊदी में ही मौजूद हैं.
मीठे पानी की लागत पेट्रोल से भी ज्यादा!
यह जानकर हर कोई चौंक जाता है कि डी-सैलिनेशन से मिलने वाला पानी वास्तव में पेट्रोल से भी महंगा पड़ता है. लेकिन सरकार सब्सिडी देकर पानी को सस्ता करती है, ताकि लोगों तक इसकी सप्लाई आसानी से हो सके.
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