Saudi Arabia Bus Accident: सऊदी अरब में एक बड़ी दुर्घटना हो गई. 17 नवंबर 2025 को भारतीय समय अनुसार रात लगभग 1:30 बजे मक्का से मदीना जा रही उमराह की एक यात्री बस मुफरीहाट के पास एक डीजल टैंकर से टकरा गई. इस हादसे में 42 भारतीय तीर्थ यात्रियों के मारे जाने की खबर है. इसी बीच आइए जानते हैं कि शवों को वापस भारत लाने के लिए किस प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है.
भारतीय दूतावास की भूमिका
अगर ऐसी कोई घटना होती है तो जेद्दा में स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास या फिर रियाद में स्थित दूतावास तुरंत कार्रवाई करता है. इन दूतावास की पहली जिम्मेदारी सऊदी पुलिस, अस्पतालों और स्थानीय नागरिक अधिकारियों के साथ कोऑर्डिनेट करना होता है. वे पीड़ितों की पहचान का पता लगाना और भारत में उनके परिवारों से संपर्क करना शुरू कर देते हैं.
वापसी से पहले जरूरी दस्तावेज
सऊदी अरब से शव वापस लाने के लिए कुछ दस्तावेजों की जरूरत होती है. स्थानीय अस्पताल आधिकारिक चिकित्सा और मृत्यु प्रमाण पत्र को जारी करते हैं और इसी के साथ पुलिस दुर्घटना रिपोर्ट को तैयार करती है. अब क्योंकि ऐसी घटना एक अप्राकृतिक मृत्यु से संबंधित है इसलिए पुलिस जांच और फोरेंसिक मंजूरी में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है. दूतावास मृतक के परिवार से एक सहमति पत्र को भी प्राप्त करता है, जिसमें यह बताया जाता है कि वह शव को वापस भारत लाना चाहते हैं या फिर सऊदी अरब में ही दफनाना चाहते हैं. जैसे ही परिवार का निर्णय दर्ज हो जाता है मृतक का पासपोर्ट औपचारिक रूप से रद्द कर दिया जाता है और सभी दस्तावेजों को अंतिम मंजूरी के लिए भेज दिया जाता है.
अनापत्ति प्रमाण पत्र
इसके बाद भारतीय दूतावास द्वारा एक अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. यह एक दस्तावेज होता है जो पार्थिव शरीर ले जाने के लिए जरूरी है. सऊदी अधिकारी भी सभी औपचारिकताओं की पुष्टि करने के बाद अपना अलग अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करते हैं.
पार्थिव शरीर की तैयारी और परिवहन
सऊदी अरब ठीक से शव संरक्षण के बाद ही अंतरराष्ट्रीय प्रत्यावर्तन की अनुमति देता है. शव को काफी सावधानी से संरक्षित किया जाता है और हवाई परिवहन के लिए डिजाइन किए गए एक खास ताबूत में सील कर दिया जाता है. शव के संरक्षण और ताबूत की सीलिंग प्रमाण पत्र जारी होने के बाद दूतावास एयरलाइंस, सीमा शुल्क और इमीग्रेशन डिपार्टमेंट के साथ कोऑर्डिनेटर करके शव को एयर कार्गो के जरिए से बुक करता है. ज्यादातर शवों को पीड़ितों के शहर के सबसे पास के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचाया जाता है.
लागत, बीमा और दूतावास सहायता
यदि मृतक के पास यात्रा बीमा या फिर उमराह का खास बीमा था तो परिवहन और शव संरक्षण का खर्च बीमा कंपनी द्वारा वहन कर लिया जाता है. इसी के साथ उन मामलों में जहां परिवार के पास वित्तीय संसाधनों की कमी है, भारतीय दूतावास भारतीय समुदाय कल्याण कोष के जरिए से सहायता ले सकते हैं.
भारत में शव प्राप्ति
जैसे ही विमान उतर जाता है हवाई अड्डा प्राधिकरण पास के परिजन को वैध पहचान पत्र और सहमति दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने के लिए कहता है. कागजी कार्रवाई हो जाने के बाद शव सौंप दिया जाता है. स्थानीय अधिकारियों द्वारा इसके बाद घरेलू स्तर पर मृत्यु का पंजीकरण किया जाता है और परिवार तुरंत अंतिम संस्कार की रस्मों को निभा सकता है.
ये भी पढ़ें: सऊदी में बड़ा हादसा, मदीना जा रही बस टैंकर से टकराई, उमरा करने गए 42 भारतीयों की मौत